मध्यप्रदेश

निकाय चुनाव के नतीजे: विंध्य, चंबल और महाकौशल ने दी BJP को बड़ी टेशन, फायदे में रही कांग्रेस

भोपाल। नगरीय निकाय चुनाव के सभी नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के नतीजे सामने आ चुके हैं। नगर निगम की 16 सीटों में से भाजपा ने 9, नगर पालिका की 76 में से 57 जबकि नगर परिषद की 255 में 190 सीटों पर कब्जा किया है। सीटों के लिहाज से देखें तो यहां पर भाजपा की बड़ी जीत दिखाई दे रही है। लेकिन इन चुनाव परिणामों को देखते हुए भाजपा को आत्मावलोकन भी करना चाहिए। इसकी सबसे बड़ी वजह हैं विंध्य, ग्वालियर-चंबल और महाकौशल की नतीजे।

अगर विंध्य की बात करें तो, विंध्य में अब भाजपा का किला दरकने लगा है। विंध्य अंतर्गत यदि रीवा संभाग के चार जिलों की चुनावी तस्वीर देखें तो अपवाद स्वरूप सतना को छोड़ दिया जाय तो रीवा व सिंगरौली सीट भाजपा के हाथों से फिसल गई। सीधी में नगर पालिका है जहां 24 में से 14 कांग्रेस पार्षद निर्वाचित होने से कांग्रेस की परिषद तय मानी जा रही है। सतना में भी भाजपा की जीत परिस्थितिजन्य है जहां कांग्रेस में हुई मुड़फोर का फायदा मिला और भाजपा ने जीत हासिल की। आंकड़ों के लिहाज से निकाय चुनाव परिणाम भाजपा के लिए चिंतित करने वाले हैं क्योंकि इस मर्तबा भाजपा के कब्जे वाली 16 सीटों में से 5 सीटें हाथ से निकल गई हैं। इन नजीतों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है विंध्य की जनता का भाजपा से मोह भंग होने लगा है।

भाजपा के लिए निकाय चुनाव परिणाम इसलिए भी अहम हैं क्योंकि अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और इन्ही मतदाताओं को मतदान करना है। यदि इस लिहाज से देखें तो कमजोर संगठनात्मक नेतृत्व व लचर रणनीति के चलते भाजपा ने जिन सीटों को गंवाया है , उन सीटों का नेतृत्व दिग्गज कर रहे हैं, लेकिन उनका जोर मतदाताओं पर नहीं चला मसलन रीवा सीट भी विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल के दबदबे वाली सीट है जो भाजपा के हाथ से फिसल गई है।





इसी तरह महाकौशल और चंबल की बात करें तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र अंतर्गत आने वाली कटनी मेयर की सीट भी भाजपा के हाथों से निकलकर निर्दलीय प्रत्याशी के खाते में चली गई है। चंबल की सियासी राजधानी ग्वालियर में 58 साल बाद निकाय चुनाव में बीजेपी ने मेयर का पद गंवाया है। बीजेपी के पास इस इलाके में दिग्गज नेताओं की फौज है। केंद्र से राज्य तक चंबल के दिग्गजों की टोली है। इसके बावजूद ग्वालियर नगर निगम चुनाव बीजेपी हार गई है। मुरैना सीट भी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र की सीट थी जहां भाजपा प्रत्याशी को हार का मुह देखना पड़ा।

वहीं महाकौशल भी भाजपा के लिए चिंता का विषय है । 2018 के विधानसभा चुनाव में महाकौशल इलाके में कांग्रेस ने दमदार प्रदर्शन किया था। जबलपुर की आठ विधानसभा सीटों में से चार पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं, महापौर पद पर बीजेपी का कब्जा था। इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने जबलपुर नगर निगम पर भी कब्जा जमा लिया है। प्रदेश के 16 नगर निगमों की जो तस्वीर बनी है उसमें भाजपा ने सतना, भोपाल, इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, सागर , रतलाम व देवास नगर निगम में जीत हासिल की जबकि रीवा, जबलपुर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा और मुरैना के नगर निगम कांग्रेस के खाते में आए। कटनी से निर्दलीय प्रत्याशी और सिंगरौली से आप प्रत्याशी की जीत चौंकाने वाली रही। रीवा में तो आप के दो पार्षद भी जीते हैं।

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