भोपालमध्यप्रदेश

निकाय चुनाव के नतीजे: नाथ के गढ़ में भाजपा की बड़ी सेंध, 6 में से 4 निकायों पर किया कब्जा

छिंदवाड़ा। प्रदेश के 18 जिलों के 46 नगरीय निकायों में 27 सितंबर को हुए चुनाव की आज सुबह 9 बजे से मतगणना जारी है। इसके साथ ही मतगणना के रुझान और नतीजे भी सामने आने लगे हैं। इसी कड़ी में छिंदवाड़ा जिले के भी नतीजे सामने आए हैं। यहां पर भाजपा ने अपना परचम लहरा दिया है। भाजपा ने छिंदवाड़ा जिले की 6 निकायों में से 4 पर अपना कब्जा जमाया है, जबकि कांग्रेस को दो निकायों पर संतोष करना पड़ा है। खास बात यह है कि छिंदवाड़ा मप्र के पूर्व सीएम कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। इसके बावजूद भाजपा ने यहां कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है।

भाजपा ने छिंदवाड़ा जिले की जिन 4 निकायों में कब्जा किया है, उनमें मोहगांव, सौंसर, जुन्नारदेव और दमुआ शामिल हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में हरई और पांढुर्ना गए हैं। बता दें कि इन सभी 6 निकायों में पूर्व सीएम कमलनाथ और सांसद बेटे नकुलनाथ ने लगातार चुनावी रैलियां कर जनसभाएं की थी। इतना ही चार दिनों तक कमलनाथ छिंदवाड़ा में ढेरा डाले रहे थे। इसके बावजूद 4 निकायों में करारी हार का सामना करना पड़ा है।

मोहगांव में भाजपा ने 15 में से 9 वार्ड पर जमाया कब्जा
नगर परिषद मोहगांव में भाजपा ने बाजी मार ली है। यहां हुए चुनाव में 15 वॉर्डों में से 9 पर भाजपा, 6 में कांग्रेस पार्षद ने अपनी जीत दर्ज की है। मोहगांव में पूर्व में कांग्रेस की परिषद थी। ऐसे में जनता ने इस बार भाजपा को चुना है।

सौसर में कांग्रेस का शर्मनाक प्रदर्शन
नगर पालिका परिषद सौसर में कांग्रेस ने शर्मनाक प्रदर्शन किया है, यहां 15 में से 14 सीट पर भाजपा और एक पर निर्दलीय पार्षद प्रत्याशी ने चुनाव जीतकर कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है। यहां का चुनाव काफी प्रतिष्ठा पूर्ण समझा जाता था। पूर्व सीएम कमलनाथ और सांसद नकुल नाथ ने कांग्रेस की परिषद बनाने के लिए आम सभा भी की थी। जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस क्षेत्र में रोड शो कर जनता से आशीर्वाद मांगा था।





जुन्नारदेव में भाजपा ने दर्ज की ऐतिहासिक जीत
आदिवासी अंचल जुन्नारदेव नगर पालिका में भाजपा ने कब्जा जमा लिया है। यहां हुए रोमांचक मुकाबले में भाजपा ने कुल 18 वॉर्ड में से 11 वॉर्डों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस छह और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई है। यहां पूर्व में कांग्रेस की परिषद थी ऐसे में एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भाजपा के लिए अच्छा साबित हुआ। जीत के बाद भाजपा में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है वहीं कांग्रेस कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है।

दमुआ में भी भाजपा ने लहराया परचम
जुन्नारदेव की तरह दमुआ में भी भाजपा ने बाजी मार ली है। यहां कांग्रेस से नगरपालिका छीनकर भाजपा ने अपना परचम लहरा दिया है, हालांकि यहां कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन फिर भी भाजपा से पिछड़ गई। जादुई आंकड़े की बात करें तो भाजपा नौ कांग्रेस आठ और एक सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की है।

हर्रई नगर परिषद में कांग्रेस का कब्जा
जिले के हर्रई और पांढुर्णा में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने परिषद के 15 वॉर्डों में से 13 पर कब्जा जमाया, एक पर निर्दलीय और एक में भाजपा पार्षद ने जीत हासिल की। इस परिणाम के बाद हर्रई नगर परिषद में कांग्रेस का कब्जा हो गया है। इससे पहले यहां भाजपा की परिषद थी, ऐसे में विकास कार्यों में जमकर कमीशन खोरी और अन्य मुद्दों को लेकर भाजपा को यहां एंटी इनकम्बेंसी का सामना करना पड़ा, जिसके कारण भाजपा को यहां बुरी तरह से पराजय का मुंह देखना पड़ा।





पांढुर्ना में 10 सीट पर सिमटी भाजपा
पांढुर्णा में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया और यहां 30 में से 17 सीटों पर कांग्रेस पार्षदों ने जीत हासिल की। जबकि भाजपा महज 10 सीट पर सिमट कर रह गई। हालांकि तीन सीट पर निर्दलीय पार्षदों ने कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की है। पिछले चुनाव में यहां निर्दलीय प्रत्याशी प्रवीण पालीवाल नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए थे, जो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के रिश्तेदार थे। बाद में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली थी, लेकिन उनकी कार्यशैली से जनता में नाराजगी थी जिसका खामियाजा भाजपा को इस चुनाव में भुगतना पड़ा।

कांग्रेस विधायक की कार्यशैली पर उठे सवाल
जुन्नारदेव विधायक सुनील उईके निकाय चुनाव में कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए। नगर पालिका परिषद दमुआ और जुन्नारदेव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा, ऐसे में उनकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि दोनों ही जगह उन्हें कांग्रेस परिषद बनाने की जवाबदारी मिली थी। ऐसे में भी कार्यकर्ताओं में सामंजस्य नहीं बैठा पाए। टिकट वितरण को लेकर भी कई जगह असंतोष के स्वर उभरे थे। इसको लेकर भी विधायक की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। इस लिहाज से सुनील उईके के लिए इस हार को खतरे की घंटी माना जा रहा है।

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