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सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र की बड़ी जीत: चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना को मंजूरी, अब चीन तक पहुंच होगी आसान

नई दिल्ली। सुरक्षा संबंधी खतरों security risks() को देखते हुए केन्द्र सरकार (central government) की महत्वाकांक्षी चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना (Ambitious Chardham Road Widening Project) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंजूरी दे दी है। जिसके बाद अब आल वेदर राजमार्ग परियोजना (All Weather Highway Project) में सड़कों चौड़ाई बढ़ाने और डबल लेन हाइवे बनाने का रास्ता साफ हो गया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूर्व न्यायाधीश एके सीकरी (Former Judge AK Sikri) की अगुवाई में एक निगरानी समिति का भी गठन किया, जो समय-समय पर इस प्रोजेक्ट की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देती रहेगी। केन्द्र से हरी झंडी मिलने के बाद चारधाम परियोजना के तहत भारत (India) की चीन (China) तक पहुंच और आसान हो जाएगी।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हाईवे निर्माण के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने में रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) की कोई दुर्भावना नहीं है। अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का अनुमान नहीं लगा सकती है। वहीं कोर्ट ने कहा कि गठित की गई निगरानी समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand) और सभी जिला न्यायाधीशों से सहयोग मिलेगा। इसस पहले 11 नवंबर को चारधाम परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने केंद्र और याचिकाकर्ता दोनों की दलीलें विस्तार से सुनी थी और दोनों पक्षों से लिखित में सुझाव भी देने को कहा था।





10 मीटर तक चौड़ी होंगी सड़कें
केंद्र सरकार परियोजना के तहत सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर तक करना चाहती है। इसके लिए केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसके तहत कोर्ट से मांग की गई थी कि वह आठ सितंबर, 2020 को दिए अपने आदेश में संशोधन करे। इस आदेश के तहत सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर तक सीमित करने का आदेश दिया गया था।

केंद्र सरकार की चारधाम परियोजना का उद्देश्य यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है। 900 किलोमीटर लंबी इस परियोजना की लागत 12 हजार करोड़ रुपये अनुमानित है। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि भारत-चीन वास्तवित नियंत्रण रेखा की ओर से जाने वाली सीमा सड़कों के लिए यह फीडर सड़कें हैं।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सितंबर 2020 के उस आदेश में संशोधन की मांग की थी, जिसमें चारधाम सड़कों की चौड़ाई को 5.5 मीटर तक सीमित करने के लिए कहा गया था। केंद्र ने तर्क दिया था कि यह भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर जाने वाली सड़के हैं और इनके रणनीतिक महत्व को देखते हुए उन्हें 10 मीटर तक चौड़ा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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