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सेहत: गर्दन के दर्द को न करें नजरअंदाज, नहीं तो हो सकते हैं गंभीर परिणाम

गर्दन (Neck) शरीर का एक सबसे जरूरी हिस्सा है, इसके बावजूद लोग गर्दन में होने वाले दर्द (pain) नजरअंदाज करते हैं। गर्दन में स्पाइनल बोन्स (spinal bones), मांसपोशियों (muscles) की तरह कई टिशूज होते हैं। खास बात यह भी है कि गर्दन शरीर का ऐसा हिस्सा है जो ढंका हुआ नहीं रहता है, इसमें चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है। जिसकी वजह से दर्द का सामना करना पड़ता है। गर्दन का दर्द किसी भी उम्र में महिला, पुरुष या बच्चों को हो सकता है। यही नहीं, यह दर्द खतरनाक भी साबित हो सकता है।

आपको यह भी बता दे कि पिछले कुछ सालों से सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (cervical spondylosis) के रोगियों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। यह गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधों, कॉलर बोन तक पहुंच जाता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है और कमजोर मासपेशियों के कारण, हाथों को उठाना भी मुश्किल होता है। कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि लोग गर्दन के दर्द से राहत पाने के लिए दवाई या घरेलू दवाई का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन मामूली सा लगने वाला गर्दन का यह दर्द किसी गंभीर बीमारी का भी संकेत हो सकता है। तो आइए जानते हैं गर्दन में होने वाला ये दर्द किन बीमारियों का संकेत हो सकता है।

क्या हैं लक्षण

  • गर्दन की मांसपेशियां में कड़ापन हो जाना और उनमें खिंचाव आना।
  • गर्दन में दर्द होना।
  • दर्द तब और बढ़ जाता है, जब गर्दन को लंबे समय तक एक ही स्थिति में होल्ड कर के रखें। जैसे ड्रार्इंवग या कंप्यूटर पर काम करना आदि।
  • हाथों, पैरों और पंजों में झुनझुनी, सुन्नपन या कमजोरी महसूस होना।
  • सिर के पिछले भाग और कंधों में दर्द होना।
  • शरीर का संतुलन बनाने और चलने में परेशानी होना।
  • मांसपेशियों में ऐंठन।
  • ब्लैडर और बाउल पर नियंत्रण न रह पाना।

यह भी लक्षण
स्ट्रेस और चिंता- स्ट्रेस के कारण मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। अक्सर लोग जब तनाव में होते हैं तो उन्हें गर्दन और पीठ में दर्द होने लगता है।

टॉर्टिकोलिस (torticollis)
टॉर्टिकोलिस होने पर व्यक्ति की गर्दन सोते समय तो बिल्कुल ठीक रहती है लेकिन जब वह सोकर उठता है तो गर्दन को हिला भी नहीं पाता। बहुत से मामलों में यह दर्द कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ मामलों में टॉर्टिकोलिस किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है। टॉर्टिकोलिस के कारण ट्यूमर, इंफेक्शन आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।





ब्रैकियल प्लेक्सस (brachial plexus)
ब्रैकियल प्लेक्सस नर्वस का एक नेटवर्क होता है जो स्पाइनल कॉर्ड से कंधों, बांह और हाथों को सिग्नल भेजता है। गर्दन में चोट के कारण जब इसका प्रभाव ब्रैकियल प्लेक्सस पर पड़ता है तो इससे हाथों में भी दर्द होने लगता है। ब्रैकियल प्लेक्सस में चोट लगने का सबसे कॉमन कारण कार एक्सीडेंट या खेल के दौरान लगने वाली चोट है।

गर्दन दर्द का उपचार
अगर आपकी गर्दन का दर्द मामूली है तो आप इसे कुछ घरेलू उपायों की मदद से ठीक कर सकते हैं। आप दर्द कम करने वाली दवाइयां ले सकते हैं। हीट पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं। गर्दन की मसाज, स्ट्रेच करना, कूल पैड या आईस से भी दर्द से राहत पाई जा सकती है। इसके अलावा सोते, बैठते और चलते समय बॉडी पोस्चर ठीक रखें। गर्दन को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज करें।

क्यों होता है गर्दन में दर्द

कई बार सुबह सोकर उठने के बाद गर्दन में दर्द या अकड़न महसूस होती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे ऊंचे तकीये के ऊपर सिर रखना, हार्ड गद्दे पर सोना या फिर रात में सोते समय नींद में गर्दन टेढ़ी हो जाना। इसके अलावा जब आप कम्यूटर या लैपटॉप पर एक ही पोजीशन में घंटों बैठकर काम करते हैं तो इससे भी आपकी गर्दन में अकड़न आ सकती है।

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