इमरान को सता रहा टीटीपी का खौफ, कर रहे सुलह की कोशिश
इस्लामाबाद। अफगानिस्तान (Afghanistan) में जब से क्रूर तालिबान (Taliban) ने हथियारों के दम पर सत्ता हासिल की है तब से अब पाकिस्तान को भी तहरीक-ए-तालिबान (TTP) का खौफ सताने लगा है। अब इसी डर के वजह से पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Prime Minister Imran Khan) सरकार द्वारा प्रतिबंधित इस आतंकी संगठन से सुलह की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसकी जानकारी खुद इमरान खान ने दी है। उनके इस बयान के बाद पाकिस्तान के साथ ही साथ दुनिया में इसको लेकर आलोचना शुरू हो गई है।
मीडिया से बातचीत में इमरान खान ने खुलासा किया कि वह TTP के कुछ लोगों से बातचीत कर रहे हैं ताकि उन्हें अपने हथियार डालने और देश के संविधान के दायरे में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि हम सैन्य समाधानों का समर्थन नहीं करते हैं, इसलिए बातचीत के जरिए रास्ता निकालने की कोशिश जारी है। इमरान ने इसे सुलह प्रक्रिया की शुरूआत बताया है और कहा है कि वह बातचीत से समझौते की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन अभी कुछ साफ नहीं है।
पाक PM ने आगे कहा कि तहरीक-ए-तालिबान के संगठनों को हथियार छोड़ने के लिए राजी किया जा रहा है, हम चाहते हैं कि वे पाकिस्तान के संविधान का पालन करें। पिछले महीने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (President Arif Alvi) ने भी कहा था कि हम उन टीटीपी के सदस्यों को माफ करेंगे, जो हथियार छोड़ देंगे।
इमरान खान द्वारा किए गए इस खुलासे के बाद पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा आरोप लगाया कि TTP को माफी देने का मतलब मृत शहीदों के परिवारों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर पाकिस्तान की संसद को भरोसे में क्यों नहीं लिया गया।
इमरान सरकार पर उठ रहे सवालों के बाद पाकिस्तान के केंद्रीय सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान आग और खून की नदी से गुजरा है। हमने हजारों लोगों को खोया है। इन बलिदानों की वजह से हमने अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों को हराया है।
विशेषज्ञों ने पहले ही किया था आगाह
अफगानिस्तान पर तालिबान की जीत की खुशी मना रहे पाकिस्तान को विशेषज्ञों ने पहले ही टीटीपी के खतरे को लेकर आगाह किया था। विशेषज्ञों के मुताबिक TTP के लड़ाके अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता परिवर्तन के बाद इस्लामाबाद के लिए खतरा बन सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी ने पाकिस्तान में भी अपनी गतिविधि बढ़ा दी है, जिससे बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
चीन के प्रोजेक्ट के लिए खतरा बन रहा टीटीपी
पाकिस्तान में चीन ने बड़ा निवेश किया है। उसके कई प्रोजेक्ट पाकिस्तान में निमार्णाधीन है। एक्सपर्ट का कहना है कि काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी का हौसला बढ़ा है। लड़ाकों का यह हौसला पाकिस्तान में चीन के प्रोजेक्टों के लिए खतरा बन सकता है।
पश्तून राज चाहता है टीटीपी
टीटीपी के नेता मुफ्ती वाली नूर मसूद ने पिछले दिनों एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि वह अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन से खुश हैं। उम्मीद है कि अफगान तालिबान और टीटीपी के बीच अच्छे संबंध बनेंगे। इसके बाद विशेषज्ञों ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर चिंता जाहिर की थी। सूत्रों के मुताबिक, टीटीपी के लड़ाके पाकिस्तान में पश्तून राज चाहते हैं।