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कोरोना के खिलाफ एक और शुरुआत: 12 से 14 साल के बच्चों का आज से शुरु हुआ टीकाकरण, पीएम ने कही यह बात

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में आज से एक और चरण की शुरुआत हो गई है। 15 से 18 साल के वयस्कों के बाद आज बुधवार से 12 से 14 साल तक के बच्चों के लिए आज से कोरोना टीकाकरण शुरू हो गया है। इस उम्र के बच्चों को बायोलॉजिकल ई लिमिटेड द्वारा बनाई गई कोरबेवैक्स वैक्सीन दी जाएगी। अनुमान है कि 4,74 करोड़ बच्चों को वैक्सीन की डोज दी जाएगी।

बता दें कि इससे पहले सोमवार को ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि बुधवार से 12 से 14 साल के बच्चों को भी कोरोनारोधी टीका लगेगा। उन्होंने कहा कि 60 साल से ऊपर वालों को प्रिकॉशन डोज भी देनी शुरू की जाएगी। जानकारी के मुताबिक बायोलॉजिकल ई लिमिटेंड ने केंद्र को कोरबेवैक्स की पांच करोड़ डोज दी हैं।

आज भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन- पीएम मोदी
12 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए टीकाकरण शुरू होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा अपने नागरिकों, अपने लोगों का टीकाकरण कराने के प्रयासों में आज भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन है। अब 12 से 14 वर्ष के बच्चे कोरोना टीकाकरण के पात्र हैं। साथ ही 60 साल के ऊपर के सभी नागरिक एहतियाती खुराक के लिए पात्र हैं। मैं इन आयु वर्ग के लोगों को टीकाकरण कराने का आग्रह करता हूं।





केंद्र ने सभी राज्यों से स्पष्ट कहा है कि 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को टीकाकरण में शामिल नहीं किया जा सकता है। टीका देने से पहले उक्त केंद्र के मुख्य अधिकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि उम्र संबंधी दस्तावेज की जांच करने के बाद ही बच्चे का टीकाकरण किया जाए। मार्च 2022 तक इनकी आयु 12 से 14 वर्ष के बीच होनी चाहिए। यानि, 2008 से 2010 के बीच जन्मे बच्चों को ही यह वैक्सीन लगाई जाएगी।

28 दिन के अंतराल पर लेनी होंगी दो खुराक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों के साथ एक सूची भी साझा की है जिसके अनुसार देश में 12 से 13 साल के बीच 1,21,43,000 लड़के और 1,13,27,000 लड़कियां हैं। इसी तरह 13 से 14 साल के 1,22,50,000 लड़के और 1,14,23,000 लड़कियां हैं जिन्हें कोबेर्वैक्स की दो खुराक 28 दिन के अंतराल में देनी अनिवार्य है।

अधिक जोखिम वाले बच्चों पर केंद्रित रहेगा टीकाकरण
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप आफ इम्युनाइजेशन (एनटीएजीआई) के कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉ. डीके अरोड़ा का कहना है कि हमारा प्राथमिक फोकस पहले से ऐसी बीमारियों से जूझ रहे बच्चों पर है, लेकिन ऐसा कोई डाटा उपलब्ध नहीं होने के कारण सभी बच्चों के टीकाकरण का निर्णय लिया गया है।

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