इंतजार होगा खत्म: जॉनसन एंड जॉनसन बना रही बच्चों के लिए वैक्सीन, ट्रायल की मांगी अनुमति
नई दिल्ली। भारत (India) में कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) के खतरे को देखते हुए 18 साल से कम उम्र के बच्चों की वैक्सीन (children’s vaccine) का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है। विदेशों में कई वैक्सीन का ट्रायल भी चल रहा है। इस बीच फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन (pharma company johnson and johnson) ने भारत में वैक्सीन के ट्रायल के लिए भारत सरकार (Indian government) से अनुमति मांगी है। कंपनी 12 से 17 वर्ष तक के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल करेगी। कंपनी ने इसके लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organization) को आवेदन भेजा है।
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को जल्द कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) मिलने की उम्मीद जगी है। उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने भी कहा है कि बच्चों के लिए विकसित की जा रही वैक्सीन के नतीजे अगले महीने तक आ सकते हैं। कंपनी ने कहा कि कोविड -19 वैक्सीन (covid-19 vaccine) की सुविधा को विश्व भर में समान रूप पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कंपनी ने आगे कहा कि वैक्सीन को सभी आयु वर्गों के लिए सामान रूप से उपलब्ध कराने के लिए हम जुटे हुए हैं।
फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के आने के बाद vaccination में काफी तेजी आ सकती है। एक बार में 100 से 200 लोगों को महज एक से दो घंटे के बीच वैक्सीन दी जा सकती है। इसका स्कूलों में काफी बेहतर तरीके से प्रयोग किया जा सकता है।कंपनी ने आगे कहा कि दुनिया की इतनी बड़ी आबादी में हार्ड इम्युनिटी को पैदा करने के लिए जरूरी है कि इस आबादी में covid-19 vaccine क्लिनिकल ट्रायल (clinical trial) होते रहें और हम इस काम में आगे बढ़ रहे हैं।
नाक से दी जाएगी वैक्सीन
पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट आफ वॉयरोलॉजी (NIV) की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राहम (Director Dr. Priya Abraham) ने बताया कि, बच्चों को लेकर फिलहाल को वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है। इस बात की पूरी उम्मीद है कि सिंतबर अंत या अक्टूबर की शुरूआत में बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध होगी। डॉ. प्रिया ने बताया कि नाक से दी जाने वाली वैक्सीन और जेनोवा भी आने वाले हैं। जेनोवा वैक्सीन MRNA पर आधारित है। इनके अलावा कोवावैक्स भी जल्द मिल सकती है। नाक से दी जाने वाली वैक्सीन एक अनोखा शोध है, जो कि दुनिया में पहली बार भारत में हुआ है और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी इस पर काम कर रही है।