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दिल्ली में फिर तेज हो रहा कोरोना: बीते सात दिन में आज मिले सबसे अधिक 176 मरीज, गुरुग्राम ने बढ़ाई बड़ी टेंशन

नई दिल्ली। देश से कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से राहत मिलने के बाद अब नए वैरिएंट एक्सई ने टेंशन बढ़ा दी है। दरअसल दिल्ली कोरोना की रफ्तार एक बार तेज हो गई हैं। बीते सात दिन में पहली बार सबसे अधिक लोग एक दिन में कोरोना संक्रमित मिले हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि बीते एक दिन में कोरोना के 176 नए मामले सामने आए। वहीं 118 मरीजों को छुट्टी दी गई।

यह आंकड़ा 10453 नमूनों की जांच में सामने आया है। यानि 1.68 फीसदी नमूने संक्रमित पाए गए। साथ ही दैनिक संक्रमण दर 1.60 फीसदी पार हुई। बीते एक अप्रैल की तुलना करें तो दैनिक संक्रमण दर में तीन गुना से अधिक का इजाफा दर्ज किया गया है। एक अप्रैल को यह दर 0.50 फीसदी पाई गई। कोरोना की शुरूआत से अब तक राजधानी में कुल 18,65,796 लोग संक्रमित हो गए हैं। इनमें से 18,39,090 मरीज ठीक हो गए। जबकि कुल 26,155 मरीजों ने कोरोना के कारण दम तोड़ दिया।





स्वास्थ्य विभाग के अनुसार दिल्ली में कोरोना से मृत्युदर 1.4 फीसदी है। वहीं कोरोना के सक्रिय केस बढ़कर 551 हो गए हैं। इनमें से होम आइसोलेशन में 362 और अस्पतालों में 15 मरीज भर्ती हैं। इनमें से आईसीयू में 4, आॅक्सीजन सपोर्ट पर 7 और वेंटिलेटर पर 1 मरीज भर्ती हैं। दिल्ली में बढ़ते मामलों के बीच कंटेनमेंट की संख्या बढ़कर 2640 हो गई है।

गुरुग्राम में तेजी से बढ़ रहे मामले
गुरुग्राम में धीरे-धीरे कोरोना संक्रमण फिर से रफ्तार पकड़ रहा है। स्थिति यह है कि पिछले 10 दिनों में रोजाना होने वाली कोरोना जांच में तो 40 फीसदी तक की गिरावट आ गई, लेकिन कोरोना संक्रमण दर दोगुनी हो गई। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक औसतन रोजाना 3500 से ज्यादा नमूने लिए जा रहे थे और उस वक्त जिले में संक्रमण दर कम होकर 1.11 फीसदी पर आ गई थी, लेकिन अब स्थिति बिल्कुल अलग है।

इस समय लगभग 1500 नमूने लिए जा रहे हैं और संक्रमण दर करीब तीन गुना बढ़कर 3.09 फीसदी पर पहुंच गई है। वहीं दो माह पहले के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि कोरोना जांच के लिए रोजाना एकत्र किए जाने वाले नमूनों में 66 फीसदी की कमी आई है। हालांकि, उस वक्त संक्रमण दर 11.33 फीसदी थी। मालूम हो कि इस वर्ष 13 से 28 जनवरी के बीच कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर चरम पर थी। उस वक्त संक्रमण दर बढ़कर 25 फीसदी तक पहुंच गई थी।

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