वैज्ञानिकों की बढ़ी टेंशन: डेल्टा प्लस के बाद मिला अब एवाई-12 वैरिएंट
नई दिल्ली। पूरी दुनिया (whole world) पिछले डेढ़ साल तबाही मचा रही कोरोना महामारी (Corona Pandemic) लगातार टेंशन बढ़ाती ही जा रही है और इसके नए-नए स्वरूप सामने आते जा रहे हैं। पहले डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट (Delta and Delta Plus variants) के बाद अब एवाई-12 (AY-12) नाम का नया वैरिएंट सामने आ गया है। वैज्ञानिक (Scientist) पहले इसे डेल्टा का ही भाग मान रहे थे लेकिन इसकी सक्रियता की वजह से वैज्ञानिकों को इसे अलग से वगीर्कृत करना पड़ा है। अब इस वैरिएंट विशेषज्ञों की और टेंशन बढ़ा दी है।
प्रयोगशालाओं को जारी किया किया अलर्ट
देश भर की प्रयोगशालाओं से कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग (genome sequencing) के दौरान AY-12 म्यूटेशन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। जीनोम सीक्वेंसिंग की निगरानी रख रहे इन्साकॉग ने सभी प्रयोगशालाओं के लिए अलर्ट भी जारी किया है। इन्साकॉन्ग के एक वैज्ञानिक बताया है कि एवाई-12 म्यूटेशन (AY-12 mutation) को लेकर रिसर्च किया जा रहा है। इसके बारे में बहुत अधिक जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध नहीं है।
वैज्ञानिकों के पास नहीं अधिक जानकारी
इन्साकॉग के अनुसार कोरोना वायरस (corona virus) के नए स्वरुप एवाई-12 के बारे में बहुत अधिक जानकारी विज्ञान के पास भी नहीं है। इस म्यूटेशन का कितना असर पड़ रहा है? यह आगामी दिनों में पता चलेगा, लेकिन अब तक यह पता चल चुका है कि दुनिया भर में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट में 13 म्यूटेशन हुए हैं, जिनमें से यह एक है और भारत में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं।
बारीकी से जांच करने की जरूरत
उन्होंने बताया कि AY-12 डेल्टा का ही एक उप-वंश है, जो अब तक कई राज्यों में देखा जा रहा है लेकिन इसकी संख्या की बारीकी से जांच करने की जरूरत है। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि डेल्टा और AY-12 के बीच प्रभावों में क्या अंतर है? अभी इतना ही कहा जा सकता है कि यह दोनों बहुत समान प्रतीत होते हैं।
78865 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग में 61.2 फीसदी में मिला वायरस
बीते 23 अगस्त तक देश भर में 78865 सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग हुई है, जिनमें से 31124 यानी 61.2 फीसदी में कोरोना वायरस के गंभीर स्वरूप मिल चुके हैं। सर्वाधिक 21192 सैंपल में डेल्टा स्वरूप मिला है। यानी अल्फा, बीटा और गामा सहित अन्य स्वरूप की तुलना में डेल्टा भारत में कई गुना अधिक है, जो लोगों को एक से अधिक बार संक्त्रस्मित कर सकता है। साथ ही टीकाकरण के बाद भी संक्रमित कर सकता है।