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केन-बेतवा का विवाद खत्म: नॉन मानूसन सीजन में मप्र को 1834 और यूपी को 750 मिलियन क्यूबिक मिलेगा पानी

भोपाल। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच 15 साल से चल रहे केन बेतवा लिंक परियोजना से पानी लेने का विवाद सुलझ गया है। इस परियोजना से नॉन मानसून सीजन (नंवबर से अप्रैल के बीच ) में मध्य प्रदेश को 1834 मिलियन क्यूबिक मीटर (व यूपी को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। लगभग 35,111 करोड़ रुपए की लागत की इस परियोजना में 90% राशि केंद्र सरकार देगी। जबकि शेष 5-5% हिस्सेदारी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश वहन करेंगे। इस योजना से सागर-विदिशा समेत एमपी के आठ जिलों को पानी मिलेगा।

विश्व जल दिवस पर सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए(एमओए) मेमोरेंडम आॅफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए। इस एमओए पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हस्ताक्षर किए। एमओए पर हस्ताक्षर होने के साथ ही परियोजना के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस अवसर पर दिल्ली में प्रधानमंत्री ने वर्जुअल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जल शक्ति अभियान का शुभारंभ किया। इस दौरान केन बेतवा लिंक परियोजना के लक्ष्य पर आधारित एक फिल्म भी दिखाई गई।

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दोनों राज्यों व केंद्र के बीच यह समझौता हुआ
केन बेतवा लिंक परियोजना दो राज्यों मप्र और उप्र का संयुक्त प्रोजेक्ट है। संयुक्त परियोजना होने के कारण दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे का भी प्लान तैयार किया गया है। इसमें हर साल नवंबर से अप्रेल माह के बीच (नॉन मानसून सीजन) में उप्र को 750 एमसीएम तो वहीं मप्र को 1834 एमसीएम पानी मिलेगा। इन सभी बिंदुओं पर दोनों राज्य सरकारों का केंद्र सरकार के साथ समझौता किया गया है। इसी समझौते को एमओए (मेमोरेंडम आॅफ एग्रीमेंट) कहा जा रहा है।





बेतवा की सहायक नदियों पर बनेंगे बांध
इस प्रोजेक्ट के पहले फेज में केन नदी पर ढोड़न गांव के पास बांध बनाकर पानी रोका जाएगा। यह पानी नहर के जरिया बेतवा नदी तक पहुंचाया जाएगा। वहीं दूसरे फेज में बेतवा नदी पर विदिशा जिले में चार बांध बनाए जाएंगे। इसके साथ ही बेतवा की सहायक बीना नदी जिला सागर और उर नदी जिला शिवपुरी पर भी बांधों का निर्माण किया जाएगा। प्रोजेक्ट के दोनों फेज से सालाना करीब 10.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही 62 लाख लोगों को पीने के पानी के साथ 103 मेगावाट हाइड्रो पावर भी पैदा किया जाएगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना में दो बिजली प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावाट है।

मप्र व यूपी के 12 जिलों को मिलेगा फायदा
इस परियोजना से बुंदेलखंड के उप्र और मप्र के 12 जिलों को पानी मिलेगा। मप्र के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी को पानी मिलेगा। वहीं उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को राहत मिलेगी।

2005 में गौर-मुलायम ने किए थे हस्ताक्षर
परियोजना में पानी के बंटवारे को लेकर वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में दोनों प्रदेश के बीच अनुबंध हुआ था। तब मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। तब परियोजना का डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार नहीं हुआ था। अब डीपीआर तैयार है। इस कारण पानी की भराव क्षमता में कुछ बदलाव हुआ है। इस कारण से तीनों सरकारों के बीच संशोधित एमओए पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं।

यह थी विवाद की जड़
वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश को रबी फसल के लिए 547 एमसीएम और खरीफ फसल के लिए 1153 एमसीएम पानी देना तय हो गया था। लेकिन वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश की मांग पर रबी फसल के लिए 700 एमसीएम पानी देने पर सहमति बन गई थी। केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश को 788 एमसीएम पानी देना तय कर दिया था। लेकिन यूपी सरकार ने जुलाई 2019 में 930 एमसीएम पानी मांग लिया था, जिसे मध्?य प्रदेश ने इनकार कर दिया था।

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