ग्वालियरमध्यप्रदेश

कूनो के 8 चीतों के लिए 750 से ज्यादा नाम, ऐसे भी नाम रखने लोगों ने दिए सुझाव

ग्वालियर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर यानि 17 सितंबर को नामीबिया से आए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। इसके बाद उन्होंने बीते रविवार को मन की बात कार्यक्रम में नागरिकों से माई गवर्नमेंट प्लेटफॉर्म पर इनके नामों के चयन से संबंधित प्रतियोगिताओं में भाग लेने का आग्रह किया था। अब तीन दिन में ही माई गवर्नमेंट प्लेटफॉर्म प्लेटफार्म पर 750 से ज्यादा नाम सामने आए हैं। खास बात यह है कि मोदी द्वारा कूनो में छोड़े गए आठ चीतों के लिए मिल्खा, चेतक, वायु, स्वस्ति और त्वारा जैसे नामों के सुझाव भी लोगों ने दिए हैं। इसके अलावा चीता पुर्नस्थापना अभियान के लिए भी नाम बताए जा रहे हैं।

बता दें कि मन की बात में पीएम मोदी ने ये भी कहा था कि चीतों को नए वातावरण के अनुकूल होने में कुछ समय लगेगा और एक टास्क फोर्स एक आकलन करेगी जिसके बाद सरकार इस पर फैसला करेगी कि क्या पार्क को जनता के लिए खोला जा सकता है। मोदी ने कहा था कि उन्हें देश भर से संदेश मिल रहे हैं कि लोगों को चीतों को देखने का मौका कब मिलेगा। उन्होंने मंगलवार को फिर से लोगों से चीतों के नाम सुझाने और नामकरण प्रतियोगिता में भाग लेने का आग्रह किया। यहां पर यह भी याद दिला दें कि वर्ष 1952 में देश में चीते की प्रजातियों को विलुप्त घोषित किए जाने के 70 साल बाद चीता भारत आया है।




विजेताओं को क्या मिलेगा

विजेता प्रतिभागियों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को देखने के लिए यात्रा का मौका मिलेगा। इसमें भाग लेने की अंतिम तिथि 26 अक्टूबर है। प्लेटफार्म को अब तक वीर, पनाकी, भैरव, ब्रम्ह, रुद्र, दुर्गा, गौरी, भाद्र, शक्ति, बृहस्पति, चिन्मयी, चतुर, वीर, रक्षा, मेधा और मयूर जैसे नामों के सुझाव के साथ 750 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हो चुकी हैं।

भारत में 1952 में समाप्त हो गई थी चीता नाम की प्रजाति

भारत में आखिरी बार चीता 1948 में देखा गया था। इसी वर्ष कोरिया राजा रामनुज सिंहदेव ने तीन चीतों का शिकार किया था। इसके बाद भारत में चीतों को नहीं देखा गया। इसके बाद 1952 में भारत में चीता प्रजाति की भारत में समाप्ति मानी गई। कूनो नेशनल पार्क में चीते को बसाने के लिए 25 गांवों के ग्रामीणों और 5 तेंदुए को अपना ‘घर’ छोड़ना पड़ा है। इन 25 में से 24 गांव के ग्रामीणों को दूसरी जगह बसाया जा चुका है।

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