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किसान आंदोलन को धार देने वाले टिकैत ने छोड़ी बॉर्डर, 383 दिन बाद घर को हुए रवाना

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार (central government) द्वारा तीनों कृषि कानूनों (three agricultural laws) को वापस लेने और किसानों की सभी शर्तें (All conditions of farmers) मानने के बाद किसान आंदोलन (farmers movement) खत्म हो गया है। किसान नेता भी अपने घरों के लिए रवाना हो गए हैं। लेकिन सबसे खास बात यह है कि आंदोलन को धार देने वाले किसान नेता राकेश टिकैत  (Farmer leader Rakesh Tikait)अब तक अपने घर को वापस नहीं गए हैं। पर आज वह भी 383 दिन बाद अपने घर को रवाना हो गए हैं। उनके घर वापसी को ऐतिहासिक बनाने के लिए एक फतेह मार्च (Fateh March) भी निकाला गया है, जो उनके गांव तक जाएगा।

भाकियू के मेरठ अध्यक्ष मनोज त्यागी (BKU’s Meerut President Manoj Tyagi) ने जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि मेरठ के सिवाया टोल प्लाजा (Sewaya Toll Plaza except Meerut) पर भी घर वापसी यात्रा का स्वागत किया जाएगा। वहीं, राकेश टिकैत ने फतह मार्च को सफल बनाने के लिए गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर अधिक से अधिक सख्या में किसानों को पहुंचने की अपील की है। जानकारी के मुताबिक, बॉर्डर खाली करने से पहले राकेश टिकैत वहां हवन भी किया है। इसके बाद वह अपने गांव सिसौली के लिए रवाना हुए। राकेश टिकैत का फतह मार्च यूपी बॉर्डर से निकलकर मोदीनगर, मेरठ, मंसूरपुर होते हुए किसान भवन सिसौली पहुंचेगा।

आंदोलन स्थगित, खत्म नहीं
किसानों की वापसी भले ही हो गई है, लेकिन आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी (Haryana farmer leader Gurnam Singh Chadhuni) ने बताया कि आंदोलन को स्थगित किया गया है। 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी। अगर सरकार ने मांगें पूरी नहीं की तो आंदोलन फिर से शुरू कर दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अभी सरकार की ओर से एमएसपी और मुआवजे के 5 लाख रुपये देने की कोई समयसीमा तय नहीं की गई है. 750 किसानों की जान गई है, जिसमें सवा सौ हरियाणा के हैं। 45 हजार किसानों पर केस दर्ज हैं। ये सारी मांगें पूरी होनी चाहिए। चढ़ूनी ने कहा कि राजनीति की गंदगी को साफ करने को राजनीति में उतरना होगा, लेकिन वो खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि अच्छे लोगों को लड़वाएंगे।

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