ग्वालियरमध्यप्रदेश

गोविंद ने लोकायुक्त से की शिकायत: भिंड में किसानों को बांटी गई राहत राशि में हुआ करोड़ों का घोटाला, हो जांच

भोपाल/भिंड। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने वर्ष 2020 में भिंड जिले में ओला पीड़ित किसानों को बांटी गई राहत राशि में करोड़ों का घोटाला होने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, इस मामले को लेकर उन्होंने लोकायुक्त से मिलकर घोटाले संबंधित सभी दस्तावेज सौंपे और जांच की मांग की। खास बात यह है कि कि यह मामला उनके विधानसभा क्षेत्र का ही है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भिंड जिले की गोहद तहसील में शासन द्वारा ओला पीड़ित किसानों का सर्वे करवा कर 46 गावों की सूची तैयार की गई थी।

इस सर्वे के आधार पर ओला पीड़ित किसानों को राशि रुपये 32,30,43,289 वितरण हेतु स्वीकृत की गई। इसके बाद भ्रष्ट अधिकारियों ने करोड़ों रूपयों की राहत राशि का आपस में बंदरबांट कर लिया गया। ओलावृष्टि से प्रभावित जिन गांवों और किसानों को चिन्हित किया गया था, उन्हें राहत राशि न दी जाकर करोड़ों रुपए ऐसे गावों और किसानों को वितरित किया जाना दिखाया गया है जो कि ओलावृष्टि से प्रभावित थे ही नहीं।




फर्जी खातों में डाली गई राशि

उन्होंने आरोप लगाया कि यह राशि प्रभावित किसानों के खाते में न डालकर फर्जी खातों में पहुंचाई गई जो किसान वास्तव में ओलावृष्टि से प्रभावित था, जिसकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी। उसके खाते में शासन से मिलने वाली आर्थिक मदद आज तक नहीं पहुंच सकी हैं। कुछ किसानों को दी जाने वाली राहत राशि पटवारी और तहसील के अन्य अधिकारी / कर्मचारियों की सांठ-गांठ से फर्जी खातों में डाल दी गई। फर्जी खातों में डालने का तरीका कुछ इस प्रकार था कि खाता धारक का नाम सही दिखाया, लेकिन उसका खाता नंबर एडिटिंग कर दिया गया।

बचाया जा रहा दोषियों को

गोविन्द सिंह बताया कि मामले की मैंने अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ प्रमाण सहित शिकायत की इसके बावजूद कार्रवाई न कर दोषियों को बचा लिया गया। इस प्रकरण को विधानसभा में भी प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से उठाया गया था। सदन में चर्चा के दौरान माननीय राजस्व मंत्री जी ने यह स्वीकार किया था कि 1 करोड़ 29 लाख रुपए की राशि फर्जी खातों में डाली गई है। इस स्वीकारोक्ति के बाद भी प्रकरण ठण्डे बस्ते बंद कर लिया गया है। डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा कि सरकार के इस निराशाजनक रवैये की वजह से उन्हें मजबूर होकर माननीय लोकायुक्त मध्यप्रदेश का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

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