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जो का संबोधन: अमेरिकी मिशन को बताया कामयाब, कहा- काबुल छोड़ने के अलावा नहीं था कोई विकल्प

नई दिल्ली। अमेरिकी सेना (us Army) की अफगानिस्तान (Afghanistan) से वापसी के साथ ही 20 साल लंबे युद्ध का भी समापन हो गया है। सैनिकों की स्वदेश वापसी के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (US President Joe Biden) ने देश को संबोधित किया। बाइडन ने अपने संबोधन में अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशन को कामयाब बताया। साथ ही कहा कि अमेरिका के पास काबुल छोड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। वहां लाखों-करोड़ों डॉलर खर्च किए गए और ये अभियान बेहद महंगा साबित हो रहा था। साथ ही उन्होंने आतंकवाद से लड़ाई (fight terrorism) जारी रखने की बात एक बार फिर से दोहराई। बाइडेन ने कहा कि हम अफगानिस्तान समेत दुनिया भर में आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहेंगे।

बाइडेन ने कहा कि मैं अमेरिका का चौथा राष्ट्रपति था, जो इस सवाल का सामना कर रहा था कि अफगानिस्तान में चल रहे इस युद्ध को कैसे खत्म किया जाएगा। मैंने अमेरिकी लोगों से कमिटमेंट किया था कि यह युद्ध खत्म करुंगा और मैंने अपने फैसले का सम्मान किया। जो ने कहा कि हमने अफगानिस्तान में जो किया है, वो कोई और नहीं कर सकता। ये हमारे लिए गौरव की बात है। हमारा मिशन सफल रहा है। बाइडेन ने अफगानिस्तान से फौज की वापसी की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि हमने रणनीतिक लिहाज से ये फैसला लिया।

लंबा नहीं खींचना चाहता था युद्ध
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने संबोधन में साफगोई से स्वीकार किया कि काबुल (Kabul) छोड़ने के अलावा उनके सामने कोई और विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि मैं युद्ध को और लंबा नहीं खींचना चाहता था। तालिबान ने अपने पांच हजार कमांडरों को जेल से छुड़ाया। हमने तालिबान को सीजफायर के लिए मजबूर किया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) की ओर से अफगानिस्तान को लेकर हाल ही में पारित प्रस्ताव का जिक्र किया और कहा कि हम इन देशों के साथ खड़े हैं।




अफगानियों की करते रहेंगे मदद
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग गए। अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के देश छोड़कर भाग जाने के बाद काबुल में अराजकता फैली। वहां बहुत भ्रष्टाचार था। हम अफगानियों की मदद करते रहेंगे। मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे। बाइडेन ने कहा कि हमने अफगानिस्तान में 20 साल तक शांति बनाए रखी। हमने जो किया है वह कोई और नहीं कर सकता था। अब वहां तालिबान की सत्ता है। हम अफगान गठबंधन के साथ मिलकर काम करना चाहेंगे।

अमेरिका ने अफगान में क्या-क्या खोया
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान इसलिए भी खास है, क्योंकि अफगानिस्तान में अमेरिका के न सिर्फ खरबों डॉलर रुपए खर्च हुए हैं, बल्कि हजारों अमेरिकी सैनिकों (american soldiers) की जानें भी गई हैं। अफगानिस्तान में मारे गए अमेरिकी सेवा सदस्यों की संख्या 2461 है, जबकि अप्रैल तक 3846 अमेरिकी ठेकेदारों की मौत हुई है। इतना ही नहीं, 1144 नाटों और अन्य देशों सहित अन्य संबंद्ध सेवा सदस्य भी मारे गए हैं। इस बीस साल के दौरानन करीब 47,245 अफगान नागरिक मारे गए हैं।





हमने दया और करुणा के साथ लोगों को एयरलिफ्ट किया
उन्होंने साथ ही ये संदेश भी दे दिया कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए ना हो। बाइडेन ने कहा कि हमने तालिबान की मौजूदगी के बावजूद जो लोग निकलना चाहते थे, उनको वहां से निकाला। हमारी सेना ने पिछले 17 दिन में सवा लाख लोगों को एयरलिफ्ट किया। उन्होंने कहा कि अब सौ-दो सौ अमेरिकी ही वहां हैं। ये जब आना चाहेंगे, उनको लाया जाएगा। इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। हमने दया और करुणा के साथ लोगों को अफगानिस्तान से एयरलिफ्ट किया।

अमेरिकी हितों के लिए काबुल छोड़ा
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि देश के हित के लिए काबुल छोड़ने का निर्णय लिया. हमने अफगानिस्तान में दो बिलियन राशि खर्च की. दो दशक तक इतनी बड़ी रकम खर्च करना ठीक नहीं। हम इस पैसे का इस्तेमाल अमेरिका के हित में करेंगे। अमेरिका का बचाव हमारा मुख्य लक्ष्य है। अफगानिस्तान में बचाव की प्रक्रिया पूरी हुई। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिका के 2400 सैनिक शहीद हुए जबकि 44 हजार सैनिक घायल हुए. हम नए तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं।

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