विश्लेषण

‘आजाद’ हुए गुलाम, गैरों पर करम, अपनों पर सितम

नई दिल्ली। राज्यसभा (Rajya Sabha) से विदाई के बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu&Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के तेवर कांग्रेस (Congress) और गांधी परिवार (Gandhi family) के प्रति बागी हो गए हैं तो वहीं और वह भाजपा (BJP) के करीब आते जा रहे हैं। आजाद पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में लगातार रैलियां करे हैं। वह इस दौरान जहां पर कांग्रेस और गांधी परिवार पर हमला कर रहे हैं। वहीं वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) , अमित शाह (Amt Shah) और राज्य के राज्यपाल मनोज सिन्हा (Governor Manoj Sinha) पर कुछ कहने से लगातार बच रहे हैं। यही नहीं मनोज सिन्हा की तो उन्होंने तारीफ भी की और कहा कि वह अच्छे प्रशासक हैं, लेकिन चुने हुए प्रतिनिधि ज्यादा अच्छा काम करेंगे।

बता दें कि दशकों तक संसद में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले और जम्मू-कश्मीर के सीएम रहे गुलाम नबी आजाद इन दिनों गांधी परिवार से अपनी करीबी से ज्यादा आजादख्याली के लिए चर्चा में है। डोडा के भद्रवाह के रहने वाले गुलाम नबी आजाद ऐसे पहले सीएम रहे हैं, जिनका ताल्लुक जम्मू क्षेत्र से था। इसके अलावा वह कांग्रेस (Congress) के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं। इस तरह उनका जनाधार घाटी से लेकर जम्मू तक में है और यदि उनके तेवर बागी होते हैं तो फिर कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है।





समर्थक बोले- राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है
बीते 4 सालों से हम प्रदेश के मुद्दों को हाईकमान के सामने उठाते रहे हैं, लेकिन वहां से कोई जवाब ही नहीं मिलता। नई पार्टी बनाने के सवाल पर वह कहते हैं कि आजाद साहब कई बार कह चुके हैं कि राजनीति में कभी भी कुछ भी संभव है। लेकिन आज हम कांग्रेस के ही साथ हैं। उनके इस बयान से साफ है कि कश्मीर में गुलाम नबी आजाद की राजनीति अभी किसी भी तरफ करवट ले सकती है।

यही नहीं गुलाम नबी आजाद ने रविवार को तो कांग्रेस लीडरशिप (Congress Leadership) पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज की लीडरशिप ऐसी है, जो इनकार नहीं बर्दाश्त करती। जैसा कि इंदिरा और राजीव के दौर में हो जाता था। भले ही गुलाम नबी आजाद खुद को हर इवेंट में पक्का कांग्रेसी बताते नहीं थकते, लेकिन उनके भरोसेमंद लोग भी इस बात से इनकार नहीं करते कि वह नई पार्टी बना सकते हैं। हाल ही में आजाद के समर्थन में पार्टी के पदों से इस्तीफा देने वाले पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष गुलाम नबी मोंगा ने कहा कि हमें पार्टी की लीडरशिप को लेकर कुछ समस्या है।

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