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कर्नाटक हाईकोर्ट: सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा, केवल मुस्लिम होने के कारण हो रहा है भेदभाव

बेंगलुरू – देशभर में हिजाब पर रोक चर्चा का विषय बना हुआ है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में मुस्लिम छात्राओं की याचिकाओं पर चौथे दिन भी सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि घूंघट, पगड़ी, दुपट्टा, क्रॉस और बिन्दी जैसे धार्मिक चिह्न लोग पहन रहे हैं, केवल हिजाब को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है।

इधर हिजाब पर रोक के मामले में कर्नाटक विधानसभा में भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच भी तीखी बहस हुई। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने मंत्री केएस ईश्वरप्पा के तिरंगे की जगह भगवा ध्वज होने की बात को देशद्रोह बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

तो क्लास में हिजाब वाले क्यों नहीं ?
हिजाब पर रोक मामले में मुस्लिम छात्राओं के ओर से पेश वकील रवि वर्मा कुमार ने कहा कि समाज के सभी वर्गों के धार्मिक चिह्न है। चूड़ी और बिंदी पहनने वाली छात्राओं को क्लास में आने से नहीं रोका जा रहा है। तो केवल हिजाब पहनने वाली छात्राओं को ही क्यों क्लास में आने से रोका जा रहा है। जब सेना में पगड़ी पहनने वाले शामिल हो सकते हैं तो क्लास में हिजाब को क्यों नहीं। केवल गरीब मुस्लिम छात्राएं ही इसके दायरे में क्यों आ रही है? उनको धर्म के आधार पर क्लास से बाहर क्यों किया जा रहा है। यह संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।

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