स्टार्टअप कंपनियों की फ्लिपिंग से नाखुश स्वदेशी जागरण मंच
फ्लिपिंग से तात्पर्य ऐसे लेनदेन से है जिसमें किसी भारतीय कंपनियां द्वारा विदेश में फर्म का गठन किया जाता है। उसे भारत में अनुषंगी की होल्डिंग कंपनी बनाया जाता है। (Flipping means a transaction where an Indian company incorporates a firm in a foreign jurisdiction, which is then made the holding company of the subsidiary in India)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एसजेएम के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन (Ashwani Mahajan, National Co-Convener of SJM – a wing of the Rashtriya Swayamsevak Sangh) ने कहा कि एक अरब डॉलर से अधिक के मूल्यांकन वाली यूनिकॉर्न (Unicorn) द्वारा फ्लिपिंग से वे भारतीय नियामकीय निगरानी से बच सकती हैं। इससे देश को राजस्व का नुकसान होता है।
महाजन ने कहा, ‘‘भारत को इस बात का गर्व है कि उसकी स्टार्टअप कंपनियां काफी मूल्यांकन हासिल कर रही हैं और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) (Gross Domestic Production) (GDP) में योगदान दे रही हैं। लेकिन हमारी यह खुशी ज्यादा समय तक नहीं रह सकती। देखने में आया है कि ये कंपनियां अब भारतीय नहीं रह गई हैं। ऊंचे मूल्यांकन वाली ज्यादातर स्टार्टअप कंपनियां ‘पलटी’ मार गई हैं और वे भारतीय नहीं रह गई हैं।’’
भारतीय कंपनियों के लिए पसंदीदा विदेशी गंतव्यों में सिंगापुर(Singapore), अमेरिका (USA) और ब्रिटेन (Britain) शामिल हैं। महाजन ने पूरी प्रणाली…नीति से नियमनों में बदलाव की मांग की।
उन्होंने कहा कि हमें घरेलू कंपनियों से भेदभाव और विदेशी इकाइयों को आकर्षित करने की नीति को छोड़ना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को इस तरह की पलटी मारने से रोकने को हमें कुछ सख्त उपाय करने होंगे। इनमें एक उपाय फ्लिप करने वाली कंपनियों को विदेशी घोषित करना भी है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की कंपनियों का बेहतरीन उदाहरण ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट (domestic e-commerce giant Flipkart) है। इस घरेलू कंपनी के प्रवर्तकों ने भारत से बाहर जाकर सिंगापुर में अपनी कंपनी और अन्य सहयोगी इकाइयों को पंजीकृत कराया। बाद में इन कंपनियों को वॉलमार्ट ( Walmart) को बेच दिया गया। इससे भारतीय खुदरा बाजार (Indian retail market ) की हिस्सेदारी विदेशी कंपनी को स्थानांतरित हो गई।