धर्म

भगवान विष्णु को समर्पित है योगिनी एकादशी का व्रत: जानें कब है यह तिथि और इसके महत्व के बारे में

आषाढ़ मास (ashadh month) की कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत रखने से जहां सभी दुखों से मुक्ति मिलती है, तो वहीं मृत्यु के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि इस दिन व्रत रखने से 88 ब्राम्हणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। यहां पर आपको बता दें कि इस साल योगिनी एकादशी 24 जून दिन शुक्रवार को पड़ रही है।

योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की खास पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं। इस व्रत का महत्व भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने युधिष्ठिर को बताया था। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। इस दिन भगवान विष्णुजी व माता लक्ष्मी (mata lakshmi) की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि के बारे में-

योगिनी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-
योगिनी एकादशी के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र सुबह 06 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 51 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। ब्रम्ह मुहूर्त सुबह 04 बजकर 04 मिनट से सुबह 04 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।

इस समय ना करें पूजा
राहुकाल- सुबह 10 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक
विडाल योग- सुबह 05 बजकर 51 मिनट से 08 बजकर 04 मिनट तक
यमगण्ड- शाम 03 बजकर 51 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक
गुलिक काल- सुबह 07 बजकर 31 मिनट से 09 बजकर 11 मिनट तक

योगिनी एकादशी पूजा विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें और भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
  • भगवान विष्णु के आगे घी का दीपक जलाएं और उन्हें हलवे या खीर का भोग लगाएं। भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही तुलसी की पूजा भी की जाती है क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय है।

 

 

योगिनी एकादशी व्रत पारण का समय
योगिनी एकादशी व्रत का पारण 25 जून, शनिवार को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ समय सुबह 05 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 12 मिनट के बीच रहेगा।

योगिनी एकादशी का महत्व
योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से 88 हजार ब्राम्हणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

योगिनी एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में अलकापुरी नगर में राजा कुबेर के यहां हेम नामक एक माली रहता था। उसका कार्य रोजाना भगवान शंकर के पूजन के लिए मानसरोवर से फूल लाना था। एक दिन उसे अपनी पत्नी के साथ स्वछन्द विहार करने के लिए कारण फूल लाने में बहुत देर हो गई। वह दरबार में विलंब से पहुंचा। इस बात से क्रोधित होकर कुबेर ने उसे कोढ़ी होने का श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से हेम माली इधर-उधर भटकता रहा और एक दिन दैवयोग से मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने अपने योग बल से उसके दुखी होने का कारण जान लिया। तब उन्होंने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ समाप्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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