निर्जला एकादशी व्रत कल: प्यासे को पानी और इन वस्तुओं का दान करने से मिलेगा पुण्य
हिंदू पंचांग (Hindu panchang) के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) एवं भीमसेनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल भीमसेनी निर्जला एकादशी का व्रत कल शुक्रवार को है। इस व्रत को धारण करने से भक्त को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। ज्योतिषियों के अनुसार शास्त्र एवं पुराण में निर्जला एकादशी के व्रत का खास महत्व बताया गया है। यह सबसे कठोर व्रतों में एक है। इस दिन व्रती पानी के एक बूंद भी ग्रहण नहीं करते हैं।
बता दें कि पूरे साल की 24 एकादशियों में से ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी सर्वोत्तम मानी जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को धारण करके भीमसेन (Bhimsen) ने दस हजार हाथियों का बल प्राप्त कर दुर्योधन (Duryodhana) के ऊपर विजय प्राप्त की थी। यह व्रत बाल, वृद्ध व रोगी को नहीं करना चाहिए। ज्यादा गर्मी और व्रत धारण करने से प्राण के संकट में होने पर ॐ नमो नारायणाय… मन्त्र का 12 बार जप करके थाली में जल रखकर घुटने और भुजा को जमीन पर लगाकर पशुवत जल पी लेना चाहिए। इससे व्रत भंग नहीं माना जाता है। दूसरे दिन द्वादशी तिथि शनिवार को रात्रि 11.43 बजे तक है। अत: द्वादशी तिथि शनिवार को पूरे दिन कभी भी पारण किया जा सकता है।
एक मान्यता यह भी है कि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा के साथ अगर कोई इस दिन प्यासे और दूसरे जीव को पानी पिलाता है, तो उसे पूरे एकादशी व्रत का फल मिलता है। ज्योतिषियों ने बताया कि जो श्रद्धालु साल के सभी 24 एकादशी का व्रत करने में सक्षम नहीं हैं, वे निर्जला एकादशी का व्रत करके सभी एकादशियों के व्रत का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। ज्यादातर लोग इस दिन शरबत, जूस आदि तरह का पेय पदार्थ बांटते हैं, क्योंकि इस दिन जल से भरे कलश का दान अनिवार्य माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से साल भर में पड़ने वाली सभी 24 एकादशियों के व्रतों के फल की प्राप्ति आसानी से होती है। गर्मी की अधिकता के कारण बार -बार प्यास लगती है, क्योकि इस दिन जल नहीं पीया जाता है। इस एकादशी का व्रत करके यथा सम्भव अन्न, छतरी, जूता, पंखी तथा फला आदि का दान करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस दिन निर्जल व्रत करते हुए शेषशयिया रूप में भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व माना गया है।