एंटीलिया की आंच नहीं पड़ रही ठंडी: शिंदे और गोरे को वाजे के सामने बैठाकर पूछताछ करेगी एनआईए
मुंबई। एंटीलिया केस में मनसुख हिरेन की हत्या की जांच अब एटीएस से एनआईए के हाथ में आ गई है। इसके बाद एनआईए की टीम देर रात रेती बंदर की खाड़ी मैं उस जगह गई जहां से मनसुख का शव 5 मार्च को बरामद हुआ था। मनसुख की हत्या रात में हुई थी, इसलिए टीम से सस्पेंड किए गए असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे को लेकर वहां रात में गई और पूरे सीन को रीक्रिएट किया।
एटीएस ने इस मामले में गिरफ्तार पूर्व कांस्टेबल विनायक शिंदे और सट्टेबाज नरेश गोरे को एनआईए को सौंप दिया है, जिसके बाद आज केंद्रीय जांच एजेंसी सचिन वाजे और दोनों आरोपियों को आमने-सामने बैठकर पूछताछ कर सकती है। एनआईए के हाथ वह कार भी लग गई है, जिसमें मनसुख की हत्या हुई थी। कार से बरामद फॉरेंसिक सबूतों के मिलान के लिए वाजे का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। इसके लिए वाजे का ब्लड सैंपल भी लिया गया है।
वझे दाऊद एंगल से जांच भटकाना चाहता था
एनआईए सूत्रों के मुताबिक, सचिन वझे एंटीलिया केस को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथ जोड़कर जांच अधिकारियों को गुमराह करना चाहता था। उसने दुबई में रह रहे दाऊद इब्राहिम के गैंग से जुड़े एक बड़े व्यक्ति को फर्जी टेलीग्राम बनाकर धमकी भरा मैसेज भेजने के लिए कहा था। जिलेटिन से भरी स्कॉर्पियो मिलने के 12 दिन बाद तक इस केस की जांच वझे के हाथ में ही थी।
हालांकि, इस मामले में धमकी दिल्ली के तिहाड़ जेल से भेजी गई। इसके लिए जैश-ए-हिंद नाम का एक फर्जी टेलीग्राम अकाउंट बनाया गया। इसी की जांच के लिए मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने एक प्राइवेट साइबर फर्म की मदद ली थी, लेकिन इसको कहीं भी रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया। एनआईए अब इस बात की जांच कर रही है कि वह मैसेज इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी मुंबई पुलिस इसकी पड़ताल करने तिहाड़ जेल क्यों नहीं गई।