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उपहार अग्निकांड पर कोर्ट का बड़ा फैसला: सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में अंसल बंधुओं को सुनाई सात साल की सजा

नई दिल्ली। उपहार अग्निकांड (Uphaar fire incident) केस के महत्वपूर्ण सबूतों से छेड़छाड़ tampering with important evidence() के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट (Delhi’s Patiala House Court) ने सुशील अंसल और गोपाल अंसल (Sushil Ansal and Gopal Ansal) समेत अन्य को सात साल की जेल की सजा सुनाई और इसके साथ ही इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों अंसल बंधुओं पर 2.25 करोड़-2.25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

इस दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसे दोषियों के सुधार की संभावना नहीं है। दोषियों को आजीवन कारावास (Life imprisonment) की सजा मिलनी चाहिए। इन लोगों न केवल दिल्ली की न्यायपालिका की संस्थागत अखंडता को क्षीण (Undermining the institutional integrity of Delhi’s judiciary) कर दिया बल्कि आपराधिक न्याय प्रणाली criminal justice system() के प्रशासन पर भी गंभीर रूप से चोट पहुंचाई है। कोर्ट ने सजा सुनाने के बाद दोनों आरोपियों को पुलिस को हिरासत में लेने का आदेश दिया है।

इनके अलावा, कोर्ट के एक पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा और 2 अन्य पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी 7 साल की जेल की सजा सुनाई गई है और इन तीनों पर तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट के मुख्य महानगर दंडाधिकारी पंकज शर्मा (Chief Metropolitan Magistrate Pankaj Sharma) के समक्ष उन्होंने कहा सुशील अंसल और गोपाल अंसल नाम के दोषियों से सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती। वे मुख्य मामले में भी दोषी ठहराए गए हैं और उनके खिलाफ कई अन्य आपराधिक मामले विचाराधीन हैं।

उन्होंने आगे कहा कि इस मामले ने एक धारणा बनाई है कि अमीर और ताकतवर लोग किसी भी चीज से बच सकते हैं और वे न्यायिक व्यवस्था को अपने पक्ष में कर सकते हैं। अदालत के सम्मान के लिए इस धारणा को भी तोड़ना होगा। न्यायालय ऐसे गंभीर अपराध पर आंखें मूंद नहीं सकता।

बता दें कि अदालत ने उपहार अग्निकांड घटना के महत्वपूर्ण सबूतों के साथ छेड़छाड़ के मामले में बीते महीने 8 अक्टूबर को कारोबारी सुशील और गोपाल अंसल को उनके दो कर्मचारियों सहित अन्य को दोषी ठहराया था। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने इस मामले में अदालत के एक पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा और अन्य व्यक्तियों पी.पी. बत्रा और अनूप सिंह को भी दोषी ठहराया था।

दोषियों ने दिए थे ये तर्क
वहीं अंसल बंधुओं के अधिवक्ता ने दया की अपील करते हुए कहा उनकी आयु 80 वर्ष से ज्यादा है और वे परिवार में कमाने वाले एक मात्र सदस्य हैं। उनकी दोनों बेटियां अलग रहती हैं। इसके अलावा पत्नी की देखभाल करनी है। उसने दो हजार लोगों को रोजगार दिया है। उन्होंने कहा पीड़ितों को 30 करोड़ रुपये मुआवजा दिया है। उनके इस तर्क पर पीड़ित एसोसिएशन की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा वे अभी अदालत को गुमराह कर रहे हैं।

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