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कोरोना डाल सकता है ममता की कुर्सी पर संकट, उपचुनाव कराने आज आयोग से मिले टीएमसी के नेता

नई दिल्ली। देश में एक बार फिर बढ़ रहे कोरोना संक्रमण (corona infection) के कारण पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। बता दें कि ममता बनर्जी शुभेंदु अधिकारी (Subhendu Adhikari) से नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार गई थी और वह वर्तमान समय में विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। इस कारण उनको CM की कुर्सी में बने रहने के उपचुनाव कराना जरूरी हो गया है और अगर ऐसा नहीं हो पाता तो उनकी कुर्सी पर संकट आ सकता है।

इस बीच विधानसभा उपचुनाव कराने की मांग पर टीएमसी का प्रतिनिधिमंडल आज फिर चुनाव आयोग जाकर उपचुनाव कराने की गुहार लगाएंगे। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने पश्चिम बंगाल की खाली सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव कराने में देरी को लेकर नाराजगी जताई है और जल्द से जल्द उपचुनाव कराने की मांग की है। तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल उपचुनाव लंबित हैं और उन्होंने पिछले महीने भी चुनाव आयोग (election Commission) से संपर्क किया था। राज्य में सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं और माना जा रहा है कि ममता बनर्जी खुद भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगी।

ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से सहयोगी से प्रतिद्वंद्वी बने भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिसमें उनकी मामूली अंतर से हार हुई थी। हार के बाद भी वह मुख्यमंत्री बनी थीं। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उन्हें नियुक्ति के छह महीने (जो नवंबर है) के भीतर लोगों द्वारा चुने जाने की आवश्यकता है। बता दें कि तृणमूल ने मई में 294 सदस्यीय विधानसभा में 213 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार का गठन किया है।





हालांकि, भाजपा उपचुनाव कराने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है और वह लगातार इसका विरोध कर रही है, जिसकी वजह से ममता बनर्जी की टेंशन बढ़ती ही जा रही है। शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि जब राज्य में कोरोना स्थिति को देखते हुए ट्रेनों को फिर से शुरू नहीं किया जा सकता है, तो ऐसी स्थिति में उपचुनाव (by-election) भी नहीं होने चाहिए। वहीं, चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए तीसरी लहर (Third wave) के असर का आंकलन करना चाहता है।

दरअसल, संविधान के आर्टिकल 164 (4) के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति विधायक या सांसद नहीं है और वह मंत्रिपद पर आसीन होता है तो उसके लिए छह महीने में विधानसभा या विधानपरिषद या संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना अनिवार्य है। अगर मंत्री ऐसा नहीं कर पाता है तो छह महीने बाद वह पद पर नहीं बना रह सकता। ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए चार नवंबर तक विधायक बनना होगा।

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