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उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन की चर्चा: रावत के खिलाफ सांसदों और विधायकों ने खोला मोर्चा, निशंक-सतपाल और बलूनी हैं सीएम की रेस में

नई दिल्ली/देहरादून । उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ जारी असंतोष की खबरों के बीच राज्य में सत्ता परिवर्तन की चर्चा को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हई है। अगले मुख्यमंत्री की रेस में मुख्यतया तीन नाम सामने आ रहे हैं। माना जा रहा है कि इसी क्रम में पार्टी के संसदीय बोर्ड ने शनिवार को देहरादून में कोर ग्रुप की बैठक बुलाई थी। पार्टी उपाध्यक्ष रमन सिंह को भेजकर स्थिति की जानकारी ली। इस पूरी प्रक्रिया में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्थिति बेहद गंभीर है और हालात संभालने के लिए सभी विकल्प खुले हैं। सूत्रों की मानें तो शनिवार को हुई पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक में कई सांसदों, विधायकों और मंत्रियों ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोला है।

वहीं पर्यवेक्षक भेजने और कोर ग्रुप की बैठक बुलाकर राय जानने का फैसला अचानक हुआ। राज्य के कई नेताओं को दिल्ली से फोन कर बैठक के लिए पहुंचने के लिए कहा गया। दो दर्जन विधायकों को दो-तीन हेलिकॉप्टर के जरिए गैरसैंण से देहरादून एयरलिफ्ट किया गया। निशंक को लखनऊ से, दिल्ली आ रहे अजय भट्ट को रास्ते से ही देहरादून, जबकि विजय बहुगुणा को दिल्ली से भेजा गया। इस बैठक के लिए गैरसैंण में चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान बजट को आनन फानन में पारित कराया गया। हालात संभालने के लिए विधायक दल की बैठक बुलाए जाने की चर्चा भी जोरों पर है। सूत्रों का कहना है कि अगर विधायक दल की बैठक हुई तो इसका सीधा अर्थ है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन तय है।

वहीं सीएम पद की रेस में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सतपाल महाराज और सांसद अनिल बलूनी हैं। बताया जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में बगावत होने की आशंका थी। इसलिए आनन फानन में पर्यवेक्षक भेजकर स्थिति संभालने की कोशिश की गई। सूत्रों के मुताबिक कोर ग्रुप की बैठक के बाद शनिवार को ही पार्टी के कई विधायक दिल्ली रवाना हो गए थे। रविवार को कई और विधायक भी दिल्ली पहुंच सकते हैं।

केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर देहरादून भेजे गए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से अलग से मंत्रणा हुई। निशंक को भी भाजपा कोर कमेटी की बैठक में भाग लेना था। लेकिन फ्लाइट लेट होने के कारण वह लखनऊ से देहरादून समय पर नहीं पहुंच सके। केंद्रीय पर्यवेक्षक जब दिल्ली लौटने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे तो वहां डॉ. निशंक की उनसे भेंट हुई। एयरपोर्ट के ही लॉज में रमन सिंह, दुष्यंत गौतम और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत के साथ निशंक से चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष नेताओं के बीच यह चर्चा करीब 20 मिनट हुई। एयरपोर्ट पर ही शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और सुरेश राठौर ने भी रमन सिंह से भेंट की।

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह के साथ कोर कमेटी की बैठक नहीं हुई, बल्कि उन्होंने कोर कमेटी के सदस्यों से वन टू वन बातचीत की। कुछेक वरिष्ठ विधायकों को छोड़कर उनकी विधायकों से कोई बात नहीं हुई। वह तिलक रोड स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने संघ नेताओं से एक-एक करके फीड बैक भी लिया।कोर कमेटी की बैठक खत्म होने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत ने चेहरा बदलने की अटकलों पर विराम लगाया। 13 विधायकों की नाराजगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी का एक विधायक भी नाराज नहीं है। ये सारी बातें मनगढ़ंत हैं। उनके मुताबिक, केंद्रीय पर्यवेक्षक 18 मार्च को सरकार के चार साल पूरे होने की तैयारियों का जायजा लेने आए थे। उन्होंने कहा कि ये सारी चचार्एं मीडिया की उपज है।

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