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उत्तराखंड का नया मुखिया कौन: सीएम चुनने थोड़ी देर में भाजपा विधायक दल की बैठक, सांसद भी रहेंगे मौजूद

देहरादून। उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री को चुनने के लिए थोड़ी देर में राजधानी देहरादून में भाजपा के विधायक दल की बैठक होगी। इसमें उत्तराखंड से चुने गए भाजपा के लोकसभा और राज्यसभा सांसद भी मौजूद रहेंगे। केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर भाजपा के उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और राज्य के प्रभारी दुष्यंत गौतम देहरादून पहुंच गए हैं।

सूत्रों की मानें, तो सीएम पद दावेदार माने जा रहे भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी अभी दिल्ली में ही हैं और उनका देहरादून आने का कोई कार्यक्रम नहीं है। राज्य में पिछले 3 दिन से जारी सियासी उठापटक के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए नए सीएम की नियुक्ति तक पद पर बने रहने को कहा है।

धन सिंह रावत का नाम सबसे आगे
अगले सीएम के रूप में राज्य मंत्री धन सिंह रावत का नाम सबसे आगे है। हालांकि सतपाल महाराज, तीरथ सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल, सांसद अजय भट्ट और अनिल बलूनी भी दावेदार बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, कुमाऊं क्षेत्र को तवज्जो देने के लिए उप-मुख्यमंत्री भी बनाया जा सकता है। राज्य में एकमात्र नारायण दत्त तिवारी ही ऐसे सीएम रहे, जो कार्यकाल पूरा कर पाए थे। राज्य में फरवरी 2022 में चुनाव होने हैं।

रावत बोले- मैं 4 साल सीएम रहा, अब किसी और को मौका मिले
इस्तीफा देने के बाद रावत प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा ने छोटे से गांव के कार्यकर्ता को इतना बड़ा सम्मान दिया। 4 साल मुझे सेवा करने का मौका दिया। पार्टी ने सामूहिक रूप से फैसला लिया है कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए।

कांग्रेस बोली- सरकार काम नहीं कर रही थी
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी मान लिया है कि मौजूदा सरकार कुछ कर नहीं सकी है। अब मैं राज्य की सत्ता में बदलाव देख रहा हूं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अब किसे लाएंगे। 2022 में भाजपा सत्ता में नहीं लौटने वाली।

पार्टी के विधायकों ने किया था रावत का विरोध
पार्टी के नाराज गुट का कहना था कि अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री रहे तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यहां तक कि पार्टी सत्ता से बाहर भी हो सकती है। पार्टी पर्यवेक्षकों ने 6 फरवरी को देहरादून जाकर पार्टी विधायकों से बात की थी। 7 फरवरी को दोनों दिल्ली लौट आए थे और अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को दी थी।

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