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शिया धर्मगुरु के इस ऐलान से इराक में भड़की हिंसा, देखने को मिला श्रीलंका जैसा नजारा भी

बगदाद। आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की राजनीति में अभूतपूर्व उथल-पुथल के दो महीने बाद हजारों प्रदर्शनकारियों ने राजधानी कोलंबो में राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया और कब्जा जमा लिया था। अब कुछ ऐसा ही नजारा इराक की राजधानी बगदाद में देखने को मिल रहा है। यहां के प्रभावशाली शिया मुस्लिम धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर की ओर से राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा के बाद उनके समर्थक भड़क उठे हैं। यहां तक की वह राष्ट्रपति भवन में भी घुस गए हैं। जिसके बाद उनके समर्थकों और ईराक समर्थक इराकियों के बीच हिंसक झड़प भी हुई है।

बताया यह भी जा रहा है कि हिंसक झड़प के बीच हुई गोलीबारी में करीब 20 लोगों की जान भी चली गई है। हालांकि पुलिस ने शहर में धारा 144 लगाने की घोषणा कर दी है। बता दें कि सोमवार को जैसे ही सोमवार को जैसे ही मुक्तदा अल-सदर ने राजनीति छोड़ने का एलान किया, उनके समर्थकों में गुस्सा फूट पड़ा। इसके बाद इनकी ईरान समर्थकों से भिड़ंत हो गई। बगदाद की सड़कों पर पथराव शुरू हो गया। इसके बाद कई जगहों पर गोलियां चलने की आवाज सुनाई दी। आरंभिक खबरों में 20 लोगों के मारे जाने की बात कही गई है। 19 लोग घायल हुए हैं। इराक में कर्फ्यू लगा दिया गया है।





खबर के अनुसार भीड़ में शामिल अराजक तत्व राष्ट्रपति के महल में बने स्विमिंग पूल में धमाल मचाने लगे। ये लोग मुक्तदा अल-सदर के समर्थक बताए जा रहे हैं। दरअसल, शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र के के राजनीति छोड़ने के फैसले से उनके समर्थकों में नाराजगी बढ़ गई और वे सड़कों पर उतर आए। इस दौरान सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई। सद्र के हजारों समर्थकों ने राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया। सुरक्षाबलों ने रोकने के लिए पहले आंसू गैस के गोले दागे और फायरिंग भी की, लेकिन वे नहीं माने।

इराक में सरकार बनाने के लिए तेज गतिरोध
असल में इराक में पिछले दस महीने से ना तो कोई स्थाई प्रधानमंत्री है। ना कोई मंत्रिमंडल है और ना ही कोई सरकार है। इस वजह से वहां राजनीतिक अराजकता की स्थिति बन गई। इराक की सरकार में गतिरोध तब तेज हुआ जब धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र की पार्टी ने पिछले अक्टूबर में सबसे अधिक सीटें जीती थी, लेकिन वह बहुमत तक नहीं पहुंच पाए थे।

इन 10 प्वाइंटों में समझें पूरा मामला

  • इराक के राष्ट्रपति भवन रिपब्लिकन पैलेस पर प्रदर्शनकारियों के कब्जे के बाद वहां हालात खराब हो गए हैं। इराक स्थित कुवैती दूतावास ने अपने नागरिकों से इराक तुरंत छोड़ देने को कहा है। कुवैत की राज्य समाचार एजेंसी, कुना ने सोमवार को देर से सूचना दी कि दूतावास ने इराक की यात्रा करने के इच्छुक लोगों से अपनी योजनाओं को स्थगित करने के लिए भी कहा है।
  • इराक के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर ने कल सोमवार को राजनीति से हटने की घोषणा की। इसकी प्रतिक्रिया में सदर के नाराज सैकड़ों समर्थक सरकारी महल में घुस गए।
  • सरकारी महल में घुसने के दौरान अल-सदर और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें कम से कम 20 प्रदर्शनकारी मारे गए हैं।
  • चिकित्सा अधिकारियों ने बताया कि शिया धर्मगुरु अल-सदर के ऐलान के बाद विरोध प्रदर्शनों के दौरान दंगा रोधी पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में कम से कम 19 प्रदर्शनकारी घायल हो गए। पुलिसकर्मियों ने इस दौरान आंसू गैस के गोले छोड़े जिसमें और 12 से अधिक घायल हो गए।
  • इराक की सेना ने बढ़ते तनाव को शांत करने और झड़पों की आशंका को दूर करने के उद्देश्य से सोमवार को शहर भर में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया। जारी एक बयान के अनुसार, सेना ने धर्मगुरु के समर्थकों से भारी सुरक्षा वाले सरकारी क्षेत्र से तुरंत हटने और संघर्ष या इराकी खून बहने से रोकने के लिए आत्म-संयम का पालन करने का आह्वान किया। इस प्रदर्शन से यह आशंका बन हो गई है कि इराक में हिंसा भड़क सकती है जो पहले से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है।
  • इराक की सरकार में यह गतिरोध तब से आया है जब धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर की पार्टी ने अक्टूबर के संसदीय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीती थीं लेकिन वह बहुमत तक नहीं पहुंच पाए थे। उन्होंने आम सहमति वाली सरकार बनाने के लिए ईरान समर्थित शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया था।
  • अल-सदर के समर्थक जुलाई में प्रतिद्वंद्वियों को सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में घुस गए और चार सप्ताह से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। उनके गुट ने संसद से इस्तीफा भी दे दिया है।
  • यह पहली बार नहीं है जब अल-सदर ने संन्यास की घोषणा की है. वह इससे पहले भी ऐसी घोषणा कर चुके हैं. कई लोगों ने अल-सदर के इस कदम को वर्तमान गतिरोध के बीच प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ बढ़त हासिल करने का एक और प्रयास करार दिया। हालांकि कुछ ने यह आशंका जतायी है कि इस बार के उनके कदम से देश की स्थिति और बिगड़ सकती है, जो पहले से ही खराब है।
    सोमवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने रिपब्लिकन पैलेस के बाहर सीमेंट के बैरियर को रस्सियों से नीचे गिराया और महल के फाटकों को तोड़ दिया. उनमें से कई महल के सभागार में पहुंच गए।
  • धर्मगुरु अल-सदर ने एक ट्वीट में राजनीति से हटने की घोषणा की और अपने पार्टी कार्यालयों को बंद करने का आदेश दिया. धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थान खुले रहेंगे.इराक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी ने मांग की कि अल-सदर अपने समर्थकों से सरकारी संस्थानों से हटने का आह्वान करे. उन्होंने कैबिनेट की बैठकें स्थगित करने की भी घोषणा की।

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