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अमेरिकी इतिहास का काला दिन: आतंकियों ने आज ही दहलाया था WTC, हजारों की गई थी जान

नई दिल्ली। 20 पहले 11 सितंबर यानि आज का दिन अमेरिकी इतिहास (American history) में काले दिन (dark days) के रूप में अंकित हो गया है। 11 सितंबर 2001 में 19 लोगों ने ईंधन से भरे चार वाणिज्यिक हवाई जहाजों (four commercial airplanes) को अपह्रत कर उसे अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (America’s World Trade Center) पर पर आतंकी हमला किया गया था। इसे दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी हमला (terrorist attack) माना जाता है। इस हमले में करीब 2977 लोग मारे गए। उन्नीस लोगों ने इस अपहरण को अंजाम दिया। पांच-पांच लोगों की तीन टीमों और चार में से एक (पेंसिल्वेनिया में दुर्घटनाग्रस्त विमान पर) में काम कर रहे थे।

बता दें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश (then US President George Bush) ने इस घटना को अमेरिकी इतिहास का सबसे काला दिन करार दिया था। 11 सितंबर 2001 की उस सुबह को कोई भी भूला नहीं है जब रोज की तरह दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में शुमार वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर में भी करीब 18 हजार कर्मचारी रोजमर्रा का काम निपटाने में जुटे थे, लेकिन सुबह 8:46 मिनट पर कुछ ऐसा हुआ कि अब तक सामान्य सी मालूम पड़ रही यह सुबह खौफनाक हो उठी।

इस हमले की साजिश आतंकी संगठन अल कायदा ने रची और इसका मुख्य सरगना ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden) था। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला करने के लिए 19 लोगों की टीम को तीन समूहों में बांटा गया था। हर समूह में ऐसे व्यक्ति को शामिल किया गया था जिसे हवाई जहाज चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त था। अल कायदा आतंकियों ने 4 पैसेंजर एयरक्राफ्ट हाईजैक किए थे और जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Center), न्यूयॉर्क (New York) शहर के ट्विन टावर्स (Twin Towers) के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा बिल्डिंग के अंदर काम करने वाले हजारों लोग भी मारे गए।





दहल गई थी दुनिया
हमला जिन विमानों से किया गया उनकी रफ्तार 987.6 किमी/घंटा से ज्यादा थी। दोनों इमारतें दो घंटे के अंदर ढह गए, पास की इमारतें नष्ट हो गईं और अन्य क्षतिग्रस्त हुईं। इसके बाद उन्होंने तीसरे विमान को वाशिंगटन डीसी (Washington DC) के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। वाशिंगटन डीसी की ओर टारगेट किए गए चौथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने के प्रयास के बाद विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में क्रैश होकर गिरा। हालांकि किसी भी उड़ान से कोई भी जीवित नहीं बच सका।

मरने वालों में 57 देशों के नागरिक थे शामिल
इस खौफनाक आतंकी हमले में 2996 लोगों की जान चली गई थीं, जिनमें 400 पुलिस अफसर और फायरफाइटर्स भी शामिल थे। मरने वालों में 57 देशों के लोग शामिल थे। पूरी इमारत करीब 2 घंटे में मलबे में तब्दील हो गई थी। मारे गए लोगों में केवल 291 शव ही ऐसे थे जिनकी ठीक से पहचान की जा सके। गौरतलब है कि इस हमले के बाद भारतीय व्यापारियों (Indian merchants) ने हजारों टन मलबे को करीब 23 करोड़ रुपए में खरीद लिया। इसमें से निकले लोहा और स्टील को रिसाइकल कर नई इमारतों में इस्तेमाल किया गया था।

हर खून का बदला लिया था अमेरिका ने
इस दर्दनाक हमले के पीछे अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का हाथ था। फिर अमेरिका ने बदले की कार्रवाई करते हुए 2 मई 2011 को पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा को मार गिराया था। हालांकि इसमें पूरे 10 साल लग गए। 13 सालों के बाद वहीं नई इमारत काम करने के लिए खोल दी गई।

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