आषाढ़ मास आज से शुरू: आईए जानते हैं इस महीने के धार्मिक महत्व के बारे में
हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार ज्येष्ठ मास (Jyeshtha month) के बाद आषाढ़ माह (ashadh month) शुरू होता है। इस बार आषाढ़ मास आज बुधवार से प्रारंभ हो गया है जो 13 जुलाई गुरु पूर्णिमा तक रहेगा। इस महीने में भगवान शंकर (Lord Shankar) और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा का विशेष महत्व है। खास बात यह भी है कि इसी महीने देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) भी आती है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। इसी दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं।
मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी (mata lakshmi) की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यही नहीं इस महीने योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) भी पड़ रही है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्यों में सफलता प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि एकादशी व्रत रखने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राम्हणों को भोजन कराने के बराबर माना गया है। इस व्रत का महत्व भगवान श्रीकृष्ण (Lord ShriKrishna) ने युधिष्ठिर को बताया था।
आषाढ़ माह धार्मिक महत्व-
- आषाढ़ का महीना भगवान विष्णु का महीना होता है। इस दौरान श्रीहरि की पूजा-अर्चना करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
- आषाढ़ माह में आने वाली योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राम्हणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।
- आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी आती है। इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं जिसके बाद से 4 महीनों तक सभी मांगलिक कार्य रुक जाते हैं।
- आषाढ़ माह में ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गुरुजनों की पूजा की जाती है।
- आषाढ़ माह में श्रीहरि के साथ ही भगवान शिव की पूजा को भी काफी शुभ माना जाता है। इस माह में आने वाले प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। साथ ही इस महीने में गुप्त नवरात्रि भी आती है।
आषाढ़ मास में करें ये उपाय
देवपूजा- आषाढ़ महीने में भगवान शिव, विष्णुजी, सूर्यदेव, मंगलदेव, मां दुर्गा और हनुमान जी की पूजा करने से दोगुना पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस महीने श्रीहरि की पूजा करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
चार माह के विश्राम में जायेंगे भगवान
ऐसी मान्यता है कि भगवान भी आषाढ़ मास की एकादशी को अपने चतुर्मास में चले जाते है, यानि की वे 4 माह के लिए विश्राम करने चले जाते है। जिससे शुभ लग्न एवं मंगालिक कार्यो में 4 माह के लिए ब्रेक लग जाता है। आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी, योगिनी एकादशी, मिथुन संक्रांति, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, संकष्टी चतुर्थी, और जगन्नाथ यात्रा जैसे त्योहार भी पड़ेंगे।