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पूरा आबकारी विभाग शामिल है अरबों रुपये के शराब घोटाले में

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) में शराब माफिया (Liquor Mafia) को गलत तरीके से बैंक गारंटी (Bank Guarantee) देकर 150 रुपए के घोटाले (Scam) में कुछ नए तथ्य सामने  आने से यह मामला महाघोटाले में बदल गया है। शराब माफिया को दिए गए इस संरक्षण में केवल संबंधित बैंक ही नहीं, बल्कि राज्य का आबकारी महकमा (Excise Department of Madhya Pradesh) भी शामिल रहा है। वेबखबर (Webkhabar) की पड़ताल साफ बताती है कि किस तरह आबकारी अमला भी शराब माफिया के काले कारनामों से आंख मूंदे रहा और इंदौर तथा धार (Dhar) में ही शराब से जुड़े अरबों रुपए के घोटाले को अंजाम दे दिया गया। यदि मामले की जांच की जाए तो प्रदेश भर में इस तरह का बहुत बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। इस गड़बड़ी की शिकायत अब सीबीआई, (CBI) लोकायुक्त, (Lokayukta) ईओडब्ल्यू (EOW) सहित प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) (ED) को भी शपथ पत्र (Affidavit) सौंप कर की गयी है।

घोटाले की ताजा कड़ी इंदौर में पकड़ी गयी है। इस शहर में पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab and Sindh Bank) ने शराब ठेकेदारों, शिवहरे समूह (Shivhare Group) के सदस्य मुकेश शिवहरे (Mukesh Shivhare), गोपाल शिवहरे (Gopal Shivhare), भारती शिवहरे(Bharti Shivhare), पूनम शिवहरे (Punam Shivhare), रमेश राय(Ramesh Rai), ऋषि राय(Rishi Rai), गौरव राय(Gaurav Rai), पिंटू भाटिया (Pintu Bhatia) सहित अन्य को आधे-अधूरे दस्तावेजों पर बैंक गारंटी दी और शराब ठेकेदारों ने गलत तरीके से ओवरड्राफ्ट (Over Draft)  के माध्यम से शराब के ठेके हासिल कर लिए। इसमें संबंधित बैंक के ही अफसरों की भी मिलीभगत रही। अब वेबखबर की तफ्तीश में मामले के कई और भी चौंकाने वाले पक्ष सामने आये हैं। सरकार का नियम साफ कहता है कि आबकारी विभाग द्वारा शराब ठेकों की बैंक गारंटी पंद्रह दिन के भीतर ले ली जाना चाहिए। लेकिन इंदौर तथा धार में यह गारंटी तीन से चार महीने बाद ली गयी। इस अवधि के बीच शराब के ठेकेदारों को फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर ही ठेके चलाने की छूट दे दी गयी। जानकारों का कहना है कि इस धांधली के लिए इंदौर तथा धार के सहायक आबकारी आयुक्त सहित डिप्टी कमिश्नर पूरी तरह जिम्मेदार हैं।

फर्जी नंबर के जरिये की धांधली

नियमानुसार आबकारी विभाग जो लाइसेंस जारी करता है, उसमें बैंक गारंटी का नंबर भी दर्ज किया जाता है। वेबखबर को विश्वसनीय जानकारी मिली है कि आबकारी विभाग के अफसरों ने बैंक गारंटी का फर्जी नंबर डालकर लाइसेंस प्रदान कर दिए। इसी लाइसेंस के आधार पर ठेकेदार चार महीने तक दुकानें चलाते रहे और सरकार के राजस्व को उन्होंने जमकर नुकसान पहुंचाया। इस तरह से फर्जी नंबर के आधार पर लॉकडाउन के दौरान दो नंबर की शराब भी बेची गयी है। यह भी सामने आया है कि गड़बड़ी के आरोपी शराब ठेकेदारों ने कम मूल्य की प्रॉपर्टी बैंक में रखकर उससे बहुत अधिक की बैंक गारंटी भी हासिल कर ली थी। और भी गंभीर बात यह कि इन प्रॉपर्टी में से ज्यादातर विवादित एवं संदिग्ध हैं। इसके बावजूद न बैंक के अफसरों ने इस पर ध्यान दिया और न ही आबकारी अमले ने लाइसेंस देने से पहले मामले की पूरी छानबीन का काम किया। उलटे, ग्वालियर स्थित आबकारी आयुक्त कार्यालय में पदस्थ अधिकारी और राज्य स्तरीय उड़न दस्ता के अफसरों ने पूरे प्रदेश में प्रतिबंधित गाड़ियों के फर्जी घोटाले पर भी कोई ध्यान नहीं दिया।

गुजरात के शराब तस्करों को भी संरक्षण
इस घोटाले के बीच ही एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। इसमें इंदौर में रियल एस्टेट कारोबार से भी जुड़े शराब के ठेकेदार कह रहे हैं कि उनकी कॉलोनी में सभी आबकारी अफसरों के 5000 से लेकर 10, 000 स्क्वायर फीट के प्लॉट हैं। वीडियो में ठेकेदार यह भी कह रहा है, ‘कुछ अफसर हमारे पार्टनर भी हैं और कुछ अफसरों ने अपने ट्रक और टैंकर लगा रखे हैं, जो धार की शराब फैक्ट्रियों से गुजरात सहित इंदौर में भी शराब ले जाते हैं।’ बता दें कि  गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) तथा गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का गृह राज्य है और वहां नशाबंदी लागू है। स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश का आबकारी अमला ही गुजरात (Gujarat) में भी शराब की तस्करी करने वालों को भी संरक्षण दे रहा है।

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