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आतंक पर शिकंजा: NIA कोर्ट का आदेश- हाफिज सईद और सलाउद्दीन पर UPA के तहत तय हो आरोप , जानें क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली। एनआईए कोर्ट ने आतंकी संगठन लश्करे तैयबा के सरगना हाफिज सईद, हिजबुल के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन, कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम व अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। एनआईए के विशेष जज प्रवीण सिंह ने 16 मार्च को जारी आदेश में कहा कि गवाहों के बयानों व दस्तावेजी सबूतों के आधार पर यह स्पष्ट है कि इन सभी आरोपियों ने संगमत होकर आतंकियों व आतंकी संगठनों की वित्तीय मदद की। इनके आतंकियों व पाकिस्तानी प्रतिष्ठानों के साथ नजदीकी रिश्ते हैं।

दरअसल इन सभी के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि निवारक कानून की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज हैं। इनमें से कई पाकिस्तान में हैं तो कुछ भारतीय जेलों में बंद हैं। यह केस जम्मू-कश्मीर में गड़बड़ी फैलाने के लिए आतंकियों और अलगाववादियों की मदद करने से संबंधित है। एनआईए कोर्ट ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के वित्त पोषण के लिए पाकिस्तान से पैसा भेजा गया और यहां तक कि शैतानी इरादों को अंजाम देने के लिए राजनयिक मिशन का भी इस्तेमाल किया गया। आतंकियों को वित्तीय मदद कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद ने भी पैसा भेजा था।

कोर्ट ने कहा कि बहस के दौरान किसी भी आरोपी ने यह दलील नहीं दी कि व्यक्तिगत रूप से उनकी कोई अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा नहीं है या उन्होंने अलगाव के लिए काम नहीं किया है या पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर को सरकार से अलग करने की वकालत नहीं की है। जबकि गवाहों ने बयान दिया है कि आतंकियों व उनके मददगारों का एक ही उद्देश्य था और वह था भारत से जम्मू और कश्मीर को अलग करना।





राशिद इंजीनियर व वटाली समेत इन पर भी तय होंगे आरोप
एनआई कोर्ट ने कश्मीर के नेता व पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, कारोबारी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट उर्फ पीर सेफुल्लाह व कई अन्य पर भी आरोप तय करने का निर्देश दिया है। इन सभी पर यूएपीए कानून के अलावा भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों, जिनमें आपराधिक षड्यंत्र, देश के खिलाफ जंग छेड़ने के आरोप में भी केस चलेगा।

इसलिए बनाई हुर्रियत कॉन्फ्रेंस
एनआईए के अनुसार विभिन्न आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके घाटी में हिंसा को अंजाम दिया। वर्ष 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को एक राजनीतिक आधार देने के लिए आॅल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (अढऌउ) का गठन किया गया था। केंद्र सरकार को पुख्ता जानकारी है कि हाफिज सईद और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्य आतंकवादियों के साथ मिलीभगत कर रहे हैं। हवाला सहित विभिन्न अवैध तरीकों से विदेशों से पैसा जुटाया जा रहा है।

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