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कबूलनामा: आईएस ने दहलाया अफगानिस्तान, अब तक 13 अमेरिकी कमांडो समेत 100 की मौत

काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan) का काबुल (Kabul) एक बार फिर आतंक के धमाकों से दहल गया है। काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) के बाहर हुए दो आत्मघाती हमलों (suicide attacks) अब तक 13 अमेरिकी कमांडों समेत 100 से अधिक लोगों की मौत (More than 100 killed, including 13 US commandos) हो चुकी है, जबकि 150 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। व्हाइट हाउस (White House) कवर करने वाले पत्रकार जैक मिलर (journalist jack miller) ने दावा किया कि धमाके में 13 अमेरिकी मरीन और एक कमांडो की मौत हुई है। बता दें कि शुरूआत से ही इस हमले के पीछे आतंकियों के होने की आशंका जताई जा रही थी और अब आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (terrorist organization Islamic State) ने इसकी जिम्मेदारी ली है।

गुरुवार को काबुल हवाई अड्डे के पास हुए कुल सात बम धमाकों में 13 अमेरिकी नौसैनिकों समेत अब तक 100 लोगों की मौत हो गई है। मारे गए बाकी लोगों के अफगान नागरिक (afghan citizens) होने का अनुमान है। इसके अलावा एक अस्पताल में अन्य 150 से अधिक घायलों का इलाज किया जा रहा है। दो अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि अमेरिकी सेना के 60 से अधिक जवान घायल हुए हैं और इनकी संख्या बढ़ सकती है।

शुरूआत से ही इन बम धमाकों के पीछे आतंकी संगठन आईएस (IS) का हाथ होने की बात सामने आ रही थी और देर रात उसने इसकी जिम्मेदारी भी ले ली। वहीं, रूसी समाचार एजेंसी ने तीसरा धमाका होने का भी दावा किया है। ये धमाका तालिबान के वाहन पर IED के जरिए हुआ। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है।

इस्लामिक स्टेट ने अपने दावे में कहा है कि इसने अमेरिकी सैनिकों और उनके अफगान सहयोगियों को निशाना बनाया। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस धमाके पर कहा- हम माफ नहीं करेंगे। हम नहीं भूलेंगे, हम आतंकवादियों को ढूंढेंगे और इसका हिसाब लेंगे।

बता दें कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने पहले ही काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमले की आशंका जाहिर की थी। साथ ही, अपने नागरिकों को काबुल एयरपोर्ट से दूर रहने की चेतावनी दी थी। वहीं, ब्रिटेन ने इस घटना को लेकर एक आपातकालीन बैठक बुलाई। दूसरी ओर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (French President Emmanuel Macron) ने भी एलान किया है कि वहां के राजदूत अब अफगानिस्तान छोड़ देंगे।





धमाकों पर क्या बोला सालेह
काबुल पर हुए दो आत्मघाती धमाकों के एक दिन बाद अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह का बयान आया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की जड़ आईएस जैसा आतंकी संगठन ही है। तालिबान भले ही IS से गठजोड़ पर का इंकार करता रहे, लेकिन हमारे पास इसके सारे सबूत हैं। तालिबान ठीक वैसे ही आईएसआईएस (ISIS) से संबंध होने का इंकार कर रहा है, जैसे पाकिस्तान (Pakistan) क्वेटा शूरा पर करता रहा है।

30 अगस्त की शाम तक झुका रहेगा अमेरिकी ध्वज
काबुल में हुए बम धमाके में 12 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई है, वहीं 18 से अधिक घायल हैं। व्हाइट हाउस से मिली जानकारी के अनुसार इन शहीदों के सम्मान में 30 अगस्त की शाम तक अमेरिकी झंडा झुका रहेगा।

यूएस विदेश मंत्री ने जताई संवेदना
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन (US Secretary of State Antony Blinken) ने अमेरिकी सैनिकों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि हम उन 2300 सैनिकों को याद करते हैं जो 2001 से अब तक अफगानिस्तान में शहीद हुए हैं। साथ ही 20 हजार से अधिक घायल सैनिकों, अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध में हिस्सा लेने वाले 8 लाख से अधिक सैनिकों व दूसरे युद्धों में शहीद या घायल हुए सैनिकों को भी याद करते हैं।

ट्रंप ने जताया दुख
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काबुल धमाके पर कहा कि इस तरह की दुखद घटना बिल्कुल नहीं होनी चाहिए थी। बता दें कि ट्रंप के शासनकाल में ही अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में समझौता हुआ था।

यह है पूरा मामला
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि काबुल एयरपोर्ट के ऐबी गेट के बाहर एक आत्मघाती हमलावर ने इस घटना को अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि हमलावर फायरिंग करते हुए आया और उसने खुद को बम से उड़ा लिया। एयरपोर्ट के इस गेट पर ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के सैनिक तैनात रहते हैं। वहीं, दूसरा आत्मघाती हमला एयरपोर्ट के सामने मौजूद बैरन होटल के बाहर हुआ, जो कि ऐबी गेट के ही काफी करीब है। गौरतलब है कि इस हमले से कुछ देर पहले ही आईएस के आतंकियों द्वारा धमाका करने की आशंका जताई गई थी। इसका मकसद पश्चिमी देशों के उन सैनिकों को निशाना बनाना था, जो अफगान शरणार्थियों को देश से बाहर निकालने में मदद कर रहे हैं।

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