मोदी सरकार को विरासत में मिली थी कमजोर अर्थव्यवस्था, लेकिन अब भारत दुनिया में एक मजबूत निवेश स्थल के रूप में उभरा: गोयल
नयी दिल्ली। विरासत में मिली कमजोर मुद्रा एवं अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार ने सात वर्ष में पारदर्शी व्यवस्था, परिणामोन्मुखी प्रशासन, भेदभाव रहित कार्यक्रमों तथा नवोन्मेषी वित्त पोषण का मॉडल तैयार किया है। यही वजह रही है कि भारत दुनिया में एक मजबूत आर्थिक एवं निवेश स्थल के रूप में उभरा है। यह बात वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में वर्ष 2022-23 के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कही।
गोयल ने कहा कि कमजोर मुद्रा एवं अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए मोदी सरकार ने सात वर्ष में पारदर्शी व्यवस्था, परिणामोन्मुखी प्रशासन, भेदभाव रहित कार्यक्रम तथा नवोन्मेषी वित्त पोषण के मॉडल पर काम किया। उन्होंने कहा कि इसका ही परिणाम है कि आज भारत का स्टार्टअप ईकोसिस्टम दुनिया में तीसरे स्थान पर है। उनके मंत्रालय में आज 65 हजार स्टार्टअप पंजीकृत हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आधारभूत ढांचा पाइपलाइन के तहत 100 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं देश के समक्ष रखी जा रही हैं।
वाणिज्य मंत्री ने कहा, ऐसे में सरकार ने 14 क्षेत्रों को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 2 लाख करोड़ रुपए का लाभ देने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि भारत बड़े स्तर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने को प्रयासरत है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के कटौती प्रस्तावों को अस्वीकार करते हुए वर्ष 2022-23 के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों को मंजूरी प्रदान की दी।
वाणिज्य मंत्री गोयल ने कहा कि वर्ष 2014 में जब सरकार आई तो अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर हो रही थी, विदेशी मुद्रा की स्थिति गंभीर थी, लोग निवेश करने में संकोच करते थे तथा छोटे बड़े उद्यमियों को कारोबार को लेकर शंकाएं थीं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सभी क्षेत्रों में आधारभूत सुधारों की बात कही और इस बात पर जोर दिया कि विकास कुछ राज्यों तक सीमित नहीं रहे, पूरे देश में समान रूप से होना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि सरकार इस्पात क्षेत्र, सेमीकंडक्टर क्षेत्र, मोबाइल एवं बैटरी क्षेत्र जैसे कुछ विशेष क्षेत्रों पर खास ध्यन दे रही है जिन पर पहले ध्यान नहीं दिया गया था। गोयल ने कहा कि अकेले सेमीकंडक्टर उद्योग के लिये 76 हजार करोड़ रुपए की योजना रखी गई है। उन्होंने कहा कि हम देश में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को प्रोत्साहित कर रहे हैं तब इसके लिये बैटरी की जरूरत होगी और बैटरी विनिर्माण एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर अगर आज कदम नहीं उठाया गया तब विदेशों पर निर्भर रहना पड़ेगा।