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वोटर्स के इच्छा के विरुद्ध राष्ट्रपति बने रहना चाहते थे ट्रंप, वोटिंग मशीनों को जब्त करने दिया था आदेश: रिपोर्ट में खुलासा

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (US presidential election) 2020 में डोनल्ड ट्रंप (donald trump) की हार हुई थी। जिसको लेकर एक रिपोर्ट (Report) में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट बताती है कि हार से बौखलाए हुए तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा टॉप सैन्य अधिकारी (top military officer) को एक लिखित मसौदा कार्यकारी आदेश जारी किया गया था। इसमें वोटिंग मशीनों को जब्त (Voting machines confiscated) करने का आदेश था। अमेरिकी नेशनल आर्काइव्ज (US National Archives) द्वारा जारी किए गए इस डॉक्यूमेंट्स में उन उपायों के बारे में बताया गया है जिसके जरिए ट्रंप वोटर्स के इच्छा के विरुद्ध राष्ट्रपति बने रहना चाहते थे।

इस तीन पेज के लिखित आदेश में कहा गया है कि यह तत्काल प्रभाव से लागू होता है। रक्षा सचिव (Secretary of Defense) को आदेश दिया गया है कि मशीनों को जब्त किया जाए। उनका आंकलन किया जाए। इस दस्तावेज में हैक की गई voting machines के बारे में भी बहुत कुछ है कि किस तरह से पूर्व राष्ट्रपति ने वोटों की संख्या बढ़ाने के लिए साजिश रची थी। दावे के अनुसार व्हाइट हाउस (White House) द्वारा यह आदेश 16 दिसंबर 2020 में जारी किया गया था। इस आदेश के साथ ही एक विशेष वकील को भी तैनात करने को कहा गया था।





अमेरिकी नेशनल आर्काइव्ज और रिकॉर्ड प्रशासन ने प्रतिनिधि सभा की एक समिति को राष्ट्रपति से संबंधित 700 से अधिक पन्नों के दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की इन डॉक्यूमेंट्स को जारी करने से रोकने की कोशिश को देश की शीर्ष अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद समिति तक ये कागजात पहुंचाए गए हैं। दरअसल, वोटिंग मशीन जब्त करने के बाद कई तरह के विवाद सामने आते, उनसे निपटने के लिए वकील की तैनाती की जानी थी। हालांकि, इस आदेश में किसी के भी हस्ताक्षर नहीं हैं।

ट्रंप और उनके समर्थकों ने फैलाया था झूठ
तीन पेज के ड्राफ्ट को तुरंत प्रभावी बताया गया है। कहा गया है कि रक्षा सचिव सभी मशीन, उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक रूप से जमा किए गई जानकारी और रिटेंशन के लिए जरूरी सामग्री रिकॉर्ड को जब्त, एकत्र, बनाए रखेगा और विश्लेषण करेगा। डॉक्यूमेंट में हैक की गई वोटिंग मशीनों के बारे में कई कांस्पीरेसी थ्योरी के बारे में बताया गया है। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सहयोगियों द्वारा व्यापक स्तर पर धोखाधड़ी की गई और झूठ फैलाया गया। हालंकि उनके सरकार के एक्सपर्ट्स ने इस बात कि पुष्टि की थी वोटिंग सुरक्षित है। ट्रंप द्वारा नियुक्त अटॉर्नी जनरल बिल बर्र द्वारा भी दावों को खारिज कर दिया गया था।

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