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जानिए अग्निपथ पर चलकर अग्निवीर बनने वाले युवाओं का क्या होगा भविष्य

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं में जवानों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए एक नयी योजना अग्निपथ के जरिये केवल चार वर्ष के लिए अग्निवीरों की भर्ती करने का निर्णय लिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति में इस निर्णय को मंजूरी दी गयी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बाद में एक संवाददाता सम्मेलन में तीनों सेनाओं के प्रमुखों की मौजूदगी में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब तीनों सेनाओं में अग्निपथ योजना के तहत ही जवानों यानी अग्निवीरों की भर्ती की जायेगी। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सेनाओं को चुस्त दुरूस्त , युवा तथा जोश और उत्साह से परिपूर्ण बनाना है। इससे देश की सुरक्षा व्यवस्था तो मजबूत होगी , साथ ही इसके जरिये युवाओं को देश सेवा करने का मौका मिलेगा और उनमें देशप्रेम की भावना भी पैदा होगी।
सिंह ने कहा कि इस योजना से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढेंगे तथा चार वर्ष के बाद जब ये युवा सेना से बाहर आयेंगे तो देश को विभिन्न कौशलों से लैस युवा जनशक्ति भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि इन युवाओं को अच्छा वेतन तथा सेना से बाहर आने के बाद अच्छा सेवा निधि पैकेज भी दिया जायेगा। सेना में कार्यरत रहने के दौरान यदि किसी अग्निवीर की मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को बीमे के रूप में अच्छी खासी राशि दी जायेगी।
उन्होंने कहा कि यह योजना विदेशों की योजनाओं का अध्ययन कर युवाओं को ध्यान में रखकर बहुत सोच समझकर तैयार की गयी है और इसे किसी की नकल नहीं कहा जा सकता। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस योजना को संदेह की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। यह कयास भी नहीं लगाये जाने के लिए सेनाओं में खर्च कम करने तथा बचत के लिए सरकार यह योजना लेकर आयी है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए सरकार कितना भी खर्च करने से पीछे नहीं हटेगी।
एक सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री ने कहा कि नये प्रमुख रक्षा अध्यक्ष यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सीडीएस की नियुक्त जल्दी ही की जायेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं।

जानिए यह तथ्य भी
 – वर्तमान में सेना 10 साल के शुरुआती कार्यकाल के लिए ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ के तहत युवाओं की भर्ती करती है, जिसे 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

– नई योजना का उद्देश्य तीनों सेवाओं के वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है, जो तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2022-23 के लिए 5,25,166 करोड़ रुपये के रक्षा बजट में रक्षा पेंशन के लिए 1,19,696 करोड़ रुपये शामिल हैं।

– राजस्व व्यय के लिए 2,33,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। राजस्व व्यय में वेतन के भुगतान और प्रतिष्ठानों के रख-रखाव पर खर्च शामिल है।

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