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हो सकता है तीसरा विश्व युद्ध, जबलपुर में संघ प्रमुख का बड़ा बयान, कहा- विश्वगुरु बनने की ओर फिर बढ़ रहा भारत

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जबलपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों मप्र की संस्कारधानी जबलपुर में हैं। संघ नेत्री डॉक्टर उर्मिला जामदार की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे आरएसएस चीफ ने बड़ा बयान दिया है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा है कि दुनिया में तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका बनी हुई है। ऐसे में इस समय पूरी दुनिया शांति के लिए भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरु हो ऐसा सब चाहते हैं, लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के चलते अड़ंगे डाल रहे हैं। भारत रास्ता दिखाएगा कहूं तो सही, अगर बोलू कि हिंदुत्व रास्ता दिखाता है तो विवाद है। संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा कि भारत एक बार फिर विश्वगुरु बनने की ओर बढ़ रहा है।

संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा कि आज विश्व कल्याण की आवश्यकता है, उस आवश्यकता को पूरा करने वाला केवल हिंदुत्व है। विश्व कल्याण हिंदुत्व के मूल में निहित है। विश्व कल्याण में हिंदुत्व का विशेष महत्व है। अभी विश्व के पास सब कुछ है, साधन बहुत है और ज्ञान असीमित, लेकिन रास्ता नहीं मिल रहा है। उनकी अपेक्षा भारत से है। उन्होंने कहा कि विश्व दो विचारधारा में बंट गया, एक आस्तिक और एक नास्तिक। आज इसीलिए पूरा विश्व आत्मिक शांति के लिए भारत की ओर आशापूर्ण निगाहों से देख रहा है। मानव धर्म ही सनातन धर्म और सनातन धर्म ही हिंदू धर्म है।

भारत ने दुनिया को दी भौतिक सुख-संपदा और आत्मिक शांति
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत ने सारी दुनिया को भौतिक सुख-संपदा और आत्मिक शांति दी है। पाश्चात्य संस्कृति में जो भी विकास हुआ वो अधूरा था। धर्म और राजनीति की अवधारणा को व्यवसाय बना दिया गया। वैज्ञानिक युग आने के बाद भी शास्त्रों का व्यापार बनकर रह गया, यही वजह रही की दो विश्व युद्ध हुए। संघ प्रमुख ने कहा कि यूक्रेन-रूस और इजराइल-हमास युद्ध के बीच तीसरे विश्वयुद्ध की छाया पनप रही है। अभी यह नहीं साफ हो पा रहा है कि यह कहां से शुरू होगा, इजराइल से या फिर यूक्रेन से।

पर्यावरण पर भी जताई चिंता
भागवत ने आगे कहा कि दुनिया में विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है, लेकिन इसके फायदे अभी दुनिया के गरीबों तक नहीं पहुंच रहे हैं, लेकिन दुनिया को तबाह करने वाले हथियार हर जगह पहुंच जा रहे हैं। कुछ बीमारियों के लिए दवाएं भले ही ग्रामीण इलाकों तक न पहुंची हों, लेकिन कट्टा यहां पहुंच जाता है अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने पर्यावरण पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पर्यावरण ऐसी स्थिति में पहुंच गया है, जहां वह बीमारियों की वजह बन रहा है।

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