विश्लेषण

अफ़ग़ानिस्तान के पतन के बीच हैरिस की एशिया यात्रा का महत्व 

 अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की दक्षिणपूर्व एशिया की यात्रा (South-East Asia tour of Kamala Harris, Vice President of United States of America) को नये मायने दिए हैं जहां वह दो दशक के युद्ध के अराजक अंत के बाद अमेरिकी संकल्प को लेकर सहयोगियों को आश्वस्त करने का प्रयास करेंगी।

शुक्रवार से शुरू हो रही यात्रा, जिसमें सिंगापुर (Singapore) और वियतनाम (Vietnam) के पड़ाव शामिल हैं, हैरिस को विदेशी मामलों में खुद को और अधिक सीधे तौर पर मुखर होने के लिए एक मंच प्रदान करेगी। उनके पास इस बात की पुष्टि करने के अवसर होंगे कि वह और राष्ट्रपति जो बाइडन (Jo biden) मानवाधिकारों सहित मूल अमेरिकी मूल्यों के रूप में किन चीजों को रखते हैं। तालिबान के सत्ता में वापस आने के साथ अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के भविष्य के बारे में चिंताओं को देखते हुए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

लेकिन इसमें काफी जोखिम भी हैं। लंबे समय तक जिला अटॉर्नी एवं पूर्व सीनेटर रहीं हैरिस अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और विदेश नीति में काफी हद तक नौसिखिया हैं। वियतनाम से उनका गुजरना, 1975 में अमेरिकी सैनिकों की अपमानजनक वापसी और अफगानिस्तान से अमेरिकियों एवं सहयोगियों को निकालने के लिए इस सप्ताह के अव्यवस्थित प्रयासों के बीच अवांछित तुलना का कारण बन सकता है। यह सब चीन की छत्रछाया में हो रहा है, जिसका बढ़ता प्रभाव कुछ अमेरिकी नीति निर्माताओं को चिंतित कर रहा है।

ओबामा प्रशासन के तहत वैश्विक कार्यक्रम निदेशक एवं लंबे वक्त तक राजनयिक रहे ब्रेट ब्रून ने कहा, “वह खतरनाक स्थिति की तरफ बढ़ रही हैं, अफगानिस्तान में जो हो रहा है उस लिहाज से भी और चीन की चुनौती के लिहाज से भी, जो वियतनाम में विशेष तौर पर काफी बड़ी है।”

उन्होंने कहा, “ अच्छा वक्त हो तो यह फैसला ठीक लगता है। लेकिन स्थिति अच्छी न हो तो यह मुसीबत को बड़ा बनाने जैसा है। उनके वहां पहुंचने के साथ ही कई तरह के मुद्दे खड़े हो जाएंगे।”

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