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जूडा हड़ताल: हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक्शन में सरकार, पांच मेडिकल कॉलेज के 468 पीसी स्टूडेंट बर्खास्त

     हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट जाएगी प्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन, करीब 2500 ने दिया इस्तीफा

प्रमुख खबरें: भोपाल। मप्र में अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर बीते चार दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों (junior doctors) पर सरकार सख्त हो गई है। विभिन्न मेडिकल कॉलेज के पीजी के फाइनल ईयर के 468 स्टूडेंट्स के नामांकन कैंसिल (बर्खास्त) कर दिए गए हैं। वहीं इसके विरोध में करीब 2500 जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए उन्हें 24 घंटे में वापस लौटने के आदेश (order)  दिए थे। ऐसा न करने पर सरकार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट का आदेश आने के बाद सरकार ने यह कार्रवाई की है।

इधर, प्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन अब सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court) जाने की तैयारी में है। साथ ही कार्रवाई के विरोध में तीन हजार मेडिकल स्टूडेंट्स ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। देर शाम प्रदेश के करीब 2500 जूडा ने अपना इस्तीफा (resign) डीन को सौंप दिया है। इनमें इंदौर के 476 और जबलपुर के 350 छात्र शामिल हैं।

 
किन मेडिकल कॉलेज के कितने स्टूडेंट पर कार्रवाई
जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध पांच मेडिकल कॉलेजों में पीजी के फाइनल ईयर के 468 स्टूडेंट्स के नामांकन कैंसिल (बर्खास्त) कर दिए गए हैं। इनमें जीएमसी भोपाल के 95, एमजीएम इंदौर के 92, गजराजा कॉलेज ग्वालियर के 71, नेताजी सुभाषचंद्र बोस कॉलेज जबलपुर के 37 और श्यामशाह कॉलेज, रीवा के 173 स्टूडेंट्स शामिल हैं। मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा जूनियर डॉक्टरों के नामांकन कैंसिल करने के लिए यूनिवर्सिटी को नाम भेजे गए थे। इसके बाद अब फाइनल ईयर के छात्र परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। इस मुद्दे पर गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुलाई। विरोध में कैंडल जलाकर प्रदर्शन किया।

अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे जूनियर डॉक्टर 
इसमें प्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद मीणा (Arvind Meena) ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (viswash sarang) ने जूडा की मांगें नहीं मानी हैं। उन्होंने केवल आश्वासन दिया है। ऐसे में जूडा के पास हड़ताल के अलावा विकल्प नहीं था। दवाई और संसाधन नहीं होने पर भी जूडा ने मरीजों का उपचार किया। अरविंद मीणा का कहना है कि भोपाल जीएमसी जूडा के अध्यक्ष हरीश पाठक (harish pathak) के परिजनों को पुलिस लगातार परेशान कर रही है। छात्रों का एनरोलमेंट रद्द किया जा रहा है। ये सब सरकार के दबाव में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जूडा सरकार से खफा है। सरकार बार-बार आश्वासन देकर मुकर गई। हमने यह बात कोर्ट में भी रखी। जहां तक ब्लैकमेलिंग का आरोप है, तो यह गलत है। ब्लैकमेल तब होता, जब कोरोना पीक पर था। अब नॉर्मल स्थिति आ रही है। सरकार लॉकडाउन खोल रही है। डॉ. मीणा ने बताया, जब तक सरकार मांगें नहीं मानती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

जूनियर डॉक्टरों को मिल रहा समर्थन
मेडिकल टीचर संघ ने भी जूडा को समर्थन दिया है। इसके बाद प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज से पीजी स्टूडेंट्स विरोध में उतर आए हैं। पीजी के फर्स्ट ईयर और सेकंड ईयर के छात्रों ने सामूहिक रूप से इस्तीफे की पेशकश की है।

ऐसी की गई बर्खास्तगी
पांचों मेडिकल कॉलेजों के डीन ने स्टूडेंट्स पर कार्रवाई के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी को लिखा था। डीन द्वारा छात्रों के नाम भेजे गए थे। डीन ने छात्रों की अटेंडेंट्स को आधार बनाया है। उनका कहना है कि छात्रों की कॉलेज में उपस्थिति कम थी। ऐसे में इन छात्रों को बर्खास्त किया जाए। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने कार्रवाई कर दी। डीन का कहना था कि कोविड को देखते हुए एस्मा लागू है। ऐसे में अनुपस्थिति नहीं हो सकती।

इस्तीफा या सीट छोड़ी तो 10 लाख का बांड भरना पड़ेगा
जानकारों का कहना है, जूनियर डॉक्टरों का कदम उन्हें भारी पड़ सकता है। पहला- यदि वह पीजी छोड़ते हैं या इस्तीफा देते हैं, तो उनको पीजी नियम के अनुसार 10 लाख रुपए जमा कराना होगा। ऐसा नहीं करने पर मेडिकल कॉलेज उनके जमा ओरिजनल दस्तावेज डिग्री मार्कशीट जब्त कर लेगा।

एस्मा के उल्लंघन पर की गई कार्रवाई
कोविड (covid) को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एस्मा (esma) लागू किया था। जूनियर डॉक्टर भी अत्यावश्यक सेवाओं में आते हैं। ऐसे में वे अपने कर्त्तव्यस्थल से अनुपस्थित नहीं रह सकते हैं। सभी को नोटिस देकर चेताया गया था। इसके बावजूद वे कार्यस्थल पर नहीं लौटे। इस कारण उनके अधिष्ठाता (डीन) की अनुशंसा पर प्रदेश के 470 पीजी छात्रों का नामांकन निरस्त किया गया है।
डॉ. टीएन दुबे, कुलपति, मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर

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