सोम की दादागिरी- सरकारी अंधेरगर्दी में जब जागे तब सवेरा….

भोपाल। सोम डिस्टलरी के मामले में सरकार में ऊपर से लेकर आबकारी अमले तक जबरदस्त अंधेरगर्दी का दौर है। सोम डिस्टलरी के आबकारी विभाग के नियम विरूद्ध बनाए गए स्प्रिट टेंकों के मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक डा.गोविंद सिंह के सवाल के जवाब में सरकार ने यह स्वीकार किया कि स्प्रिट के नियम विरूद्ध बनाए गए टेंकों की उसने कभी अनुमति ही नहीं दी है, तब जाकर जागे आबकारी अमले को यह पता लग रहा है कि सोम का पूरा प्लांट ही अवैध तरीके से बनाया गया है। मजेदार बात यह है कि सोम डिस्टलरी ने अपने इस आधुनिक प्लांट के लिए सरकार को कभी कोई आवेदन ही नहीं दिया। और जब प्लांट बनकर तैयार हो गया तो 2015 में एक लाख रूपए का जुर्माना करके सरकार ने उसका नियमितिकरण कर दिया। अब जब यह मामला विधानसभा में उठा तो पता चला है कि सोम ने प्लांट का जो नक्शा सरकार को दिया था, उसमें स्प्रिट टैंक और रिसीवर टेंकों का कहीं जिक्र ही नहीं है।
अब सोमवार को सोम के इन विवादित टैंकों के मामलों में आबकारी आयुक्त को सुनवाई करना है। यह सुनवाई टैंकों को सील करने और उसके चारों और दीवार बनाने को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश पर होना है। लेकिन अब मामला टैंकों की सुरक्षा और दीवार का नहीं रहा है। डिस्टलरी ने अपने आधुनिकीकरण का प्रस्ताव सरकार को कथित रूप से 2011 में किया था। लेकिन जब 2015 में यह प्लांट सरकार की बिना अनुमति के ही तैयार हो गया तो 2015 में इसके नियमितिकरण की अनुमति मांगी तो सरकार को पता चला कि 2011 में तो डिस्टलरी ने सरकार नए प्लांट के निर्माण के लिए न कोई आवेदन दिया था और न ही सरकार ने इसके निर्माण की कोई अनुमति दी थी। तब तत्कालीन आयुक्त ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई। इस कमेटी ने इस आधुनिक प्लांट का महिमामंडन ऐसा किया कि कमिश्नर ने अनुमति के बिना निर्माण पर एक लाख रूपए का जुर्माना लगाकर इस प्लांट को अनुमति दे दी। लेकिन 2015 में सोम ने प्लांट का जो लेआउट प्रस्तुत किया, उसमें रिसीवर टैंक और स्टोरेज टैंक का कहीं उल्लेख ही नहीं था। लिहाजा, सोमवार को सुनवाई में कमिश्नर इन टैंकों की विभाग द्वारा दी गई अनुमति को सोम से मांग सकते हैं। सोम ने 2017-18 में जो नक्शा विभाग को सौंपा था, उस नक्शे में दिए गए इंडेक्स में भी कहीं टैंकों का उल्लेख नहीं है। डिस्टलरी ने 2018-19 में पहली बार अपने नक्शे में टैंकों को दिखाया है। यह वो दौर था जब प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार आ चुकी थी और सोम डिस्टलरी अपने निर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही थी। मजेदार बात यह भी है कि इन टैंकों के गेज चार्ट डी-4 में सत्यापन अधिकारी के तौर पर प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी ऐश्वर्यपाल सिंह बुंदेला के हस्ताक्षर हैं। बुंदेला ने यहां का प्रभार 30-7-2017 को ग्रहण किया था। इससे अंदाज लगाया जा रहा है कि शायद यह टैंक बिना अनुमति के ही 2017-18 में बने हो सकते हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि सोम की इस सारी धांधली से पर्दा तब उठा जब कमिश्नर राजीवचंद्र दुबे के निर्देश पर पिछले साल 20 नवम्बर को सोम डिस्टलरी का निरीक्षण किया गया। जांच में सेहतगंज में स्थित सोम डिस्टलरी के कैंपस में असुरक्षित तरीके से संचालित किये जा रहे ये टैंक नियमों की अवहेलना कर बनाये गए थे। जिनके आसपास सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं मिले। इसके चलते आबकारी विभाग ने इसी साल 22 जनवरी को ये सभी टैंक सील कर दिए थे। मामले को लेकर आबकारी विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने सोम प्रबंधन से जवाब भी तलब किया था। अब सोमवार की कार्यवाही को लेकर सवाल उठना बेमानी है। क्योंकि टैंक सील किये जाने के बावजूद सोम प्रबंधन ने बीच में जो काम किये, उनके लिए कोई भी कार्यवाही करने की सरकार हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही है। जबकि मामला सरकारी अमले की जान-माल की सुरक्षा से सीधा जुड़ा हुआ है। यह घटना तब सामने आयी, जब बीते दिनों रायसेन जिले के प्रभारी आबकारी अधिकारी पंकज तिवारी ने संभागीय उड़नदस्ता के उपयुक्त विनोद रघुवंशी को एक खत भेजा। इसमें साफ कहा गया कि विभाग ने जिन टैंक को सील किया था, सोम के स्टाफ ने उन टैंकों में पाइप डालकर उनसे स्प्रिट निकालने और उसकी मदद से देशी शराब बनाने का काम शुरू कर दिया है। खत में कहा गया कि इस काम से रोकने पर सोम के स्टाफ ने आबकारी विभाग के अमले को डरा-धमकाकर उन्हें गंभीर अंजाम भुगतने की धमकी भी दी है।
विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सोम डिस्टलरी के बचे हुए टैंक से भी स्प्रिट निकालने तथा शराब की बॉटलिंग का काम केवल विभागीय अनुमति से ही किया जा सकता है, लेकिन इस व्यवस्था का भी वहाँ सरेआम उल्लंघन कर स्प्रिट निकालकर शराब भरने का काम किया जा रहा था। तिवारी ने चिट्ठी में यह भी लिखा कि सोम का स्टाफ वहां आबकारी विभाग के अमले को काम करने नहीं दे रहा। उन्हें तरह तरह से परेशान किया जा रहा है। तिवारी के खत पर आज तक कोई कार्यवाही किये जाने की बात सामने ही नहीं आयी है। जिला आबकारी अधिकारी और स्टाफ जिस समय सोम से खौफ के चलते पनाह तलाशते फिर रहे थे, उसी समय सरकार के ही एक अन्य विभाग पीडब्ल्यूडी ने कमाल कर दिया। महकमे के रायसेन संभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने 19 फरवरी को रायसेन कलेक्टर को एक पत्र लिखा। इसमें बताया गया कि सोम के सेहतगंज वाले परिसर में टैंकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। खत में विभागीय निरीक्षण के आधार पर कहा गया कि टैंक के चारों तरफ सुरक्षित आकार की दीवारें उठायीं जा रही हैं और ये काम संतोषजनक तरीके से चल रहा है। हालांकि ये दीवारे टीन की थी। अब ये बात समझ से परे है कि जिस जगह पर और जिन टैंकरों के गलत इस्तेमाल की बात खुद आबकारी विभाग कह रहा है, उन्हीं बातों के लिए लोक निर्माण विभाग सब ठीक बताया जाने वाला झूठ क्यों परोस रहा है? आलम यह है कि सोमवार की कार्यवाही को लेकर कोई अफसर मीडिया के सामने मुंह खोलने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। आबकारी महकमे की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने एक अखबार से साफ कहा कि यदि उसे सोमवार के संबंध में कोई जानकारी चाहिए तो वह सीधे आयुक्त से संपर्क करे, जबकि आयुक्त भी अधिक जानकारी देने से बचते नजर आए।