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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: एनडीटीवी के प्रवर्तकों की याचिकाओं पर जुर्माने के खिलाफ जवाब दे सेबी

नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने शुक्रवार को एनडीटीवी के प्रवर्तकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय (NDTV promoters Prannoy Roy and Radhika Roy) द्वारा कुछ ऋण समझौतों पर शेयरधारकों (shareholders) से कथित रूप से सूचना छिपाकर प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन करने के मामले में संज्ञान लिया। कोर्ट ने इस संबंध में उनके खिलाफ जुर्माने की कार्यवाही पर रोक के लिये दायर याचिकाओं पर सेबी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। रॉय ने अनुरोध किया है कि जुर्माना लगाने संबंधी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) के आदेश को तब तक निलंबित रखा जाए, जब तक प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (appellate tribunal) उनकी अपीलों पर फैसला नहीं सुना देता।

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना (Chief Justice NV Ramana) की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेबी की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) के इस वक्तव्य संज्ञान लिया कि इस बीच सेबी प्रर्वतकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगा। न्यायालय ने कहा कि उनकी याचिकाओं पर जवाब दो सप्ताह में दाखिल किया जा सकता है। रॉय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने (Senior Advocate Mukul Rohatgi) कहा कि न्यायाधिकरण के तीसरे सदस्य उपस्थित नहीं हैं, इसलिए अपीलों पर सुनवाई रुकी हुई है। उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि जुर्माना लगाने की कार्यवाही शुरू कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि मेरी अपीलों पर फैसला इस स्तर पर जुर्माना लगाये बिना होना चाहिए।

मेहता ने कहा, यह भ्रामक याचिका है। जुर्माना कार्यवाही अलग है। यह एक मिश्रित आवेदन है। यह कानून का प्रश्न है। उन्होंने कहा कि सुनवाई में 15 मिनट से ज्यादा नहीं लग सकते। पीठ ने कहा, आप मुख्य मुद्दे पर फैसले के बिना जुर्माना कार्यवाही शुरू करना चाहते हैं। हम यह नहीं कह रहे कि आपको अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया जाएगा। हम एक दिन में सुनवाई करेंगे और फैसला करेंगे। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को सेबी से कहा था कि वह NDTV के प्रवर्तकों के खिलाफ तीन सितंबर तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे।

इससे पहले न्यायालय ने 15 फरवरी को रॉय को राहत देते हुए न्यायाधिकरण को बाजार नियामक सेबी के आदेश के खिलाफ उनकी अपील पर सुनवाई के लिये जुर्माने की आधी राशि जमा करने की पूर्व शर्त पर जोर नहीं देने का निर्देश दिया था।

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