मध्यप्रदेश

पंचायत चुनाव पर फिर संशय, सुप्रीम कोर्ट ने शिवराज सरकार से कहा- ओबीसी आरक्षण पर आरक्षण पर न खेलें आग से

भोपाल। पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के बाद एकबार फिर पसोपेश स्थिति बन गई है। कोर्ट ने रोटेशन आरक्षण (rotation reservation) और परिसीमन से हटकर ओबीसी आरक्षण पर राज्य निर्वाचन आयोग (state election commission) को फटकार लगा दी है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई। कोर्ट ने दो टूक कहा कि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) मामले में आग से न खेले। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को संविधान के दायरे में रहकर चुनाव कराने के लिए आदेश दिया है लेकिन चुनाव पर सीधे तौर पर कोई भी आदेश नहीं दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश ओबीसी सीटों को लेकर मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से 4 दिसंबर को जारी चुनाव अधिसूचना पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य वर्ग के लिए अधिसूचित करने के निर्देश दिए हैं। आज की सुनवाई पुरानी याचिका पर नहीं थी। राज्य सभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा (Senior Advocate Vivek Tankha) की ओर से पंचायत चुनाव को चुनौती वाली याचिका पर हुई जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से सिद्धार्थ सेठ, सौरभ मिश्रा आदि ने पैरवी की।

बेंच ने कहा कि ओबीसी रिजर्वेशन नोटिफिकेशन (OBC reservation notification) सुप्रीम कोर्ट के विकास किशनराव गवली (Vikas Kishanrao Gawli) बनाम महाराष्ट्र सरकार फैसले के विरुद्ध है। बेंच ने यह भी कहा कि इसी तरह का ओबीसी कोटा महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में लागू किया गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

चुनाव में ओबीसी आरक्षण का नया पेंच फंसा
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण का नया बिंदु उठाया है। राज्य निर्वाचन आयोग (state election commission) से कहा है कि चुनाव को संविधान के दायरे में रहकर कराए जाएं। विवेक तन्खा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर अपने हाल के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पंचायत चुनाव में ध्यान क्यों नहीं रखा गया। राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव बीएस जामोद ने चर्चा के दौरान कहा है कि अभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अधिकृत कॉपी नहीं आई है और उसे पढ़ने के बाद भी कोई फैसला लिया जाएगा।

यह है आदेश
जस्टिस खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार (Justice CT Ravikumar) की बेंच ने कहा- “मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों (local body elections) की अधिसूचना में ओबीसी के लिए 27% सीटों को आरक्षित रखा गया है। यह आरक्षण महाराष्ट्र के संबंध में हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। हम राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश देते हैं कि वह सभी स्थानीय निकायों में ओबीसी सीटों के लिए आरक्षित चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाए। उन सीटों को सामान्य वर्ग के लिए दोबारा नोटिफाई किया जाए।”

अध्यादेश पर हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर वकील विवेक तनखा ने कहा कि हाईकोर्ट ने 21 नवंबर 2021 को जारी अध्यादेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए जनवरी की तारीख दी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट में सुना जा रहा है। उस पर अंतिम फैसला आने के बाद ही चुनावों के नतीजे तय होंगे। बेंच ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में भी ऐसा ही मामला था। महाराष्ट्र में भी चुनाव होने दिए थे। बाद में चुनावों को रद्द कर दिया गया था। हम आपको हाईकोर्ट के सामने अपनी याचिका में संशोधन करते हुए राहत की मांग करने की अनुमति देते हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग को लगाई फटकार
बेंच ने कहा कि आप तत्काल अपनी गलती सुधारिए। सरकार आपसे क्या कह रही है, यह मत सुनो। कानून जो कहता है, वह करो। अगर चुनाव संविधान के अनुसार हो रहे हैं, तो कराइए। हम चाहते हैं कि टैक्सपेयर्स के पैसे का नुकसान न हो। हम नहीं चाहते कि राज्य निर्वाचन आयोग किसी और के कहने पर कुछ भी करे। हम इस मामले में और ज्यादा कंफ्यूजन नहीं चाहते। अगर चुनाव कराए, तो जनता का पैसा बर्बाद भी हो सकता है। आप उसकी चिंता करें।

 

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