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समझौते का असर : LAC सी से पीछे हटने लगीं भारत-चीन की सेनाएं, गाडियां और उपक्ररण भी ले जा रहे सैनिक, गश्त के लिए रखी गई यह शर्त

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नई दिल्ली। लद्दाख सीमा से एक बड़ी खबर सामने आई है। दअरसल भारत-चीन के बीच 4 दिन पहले हुए समझौते के तहत दोनों सेनाओं ने चरणबद्ध तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग में दो पॉइंट में सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटाना शुरू कर दिए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सैनिक चारडिंग नाला के पश्चिमी हिस्से की ओर वापस चले गए हैं, जबकि चीनी सैनिक नाला के पूर्वी हिस्से की ओर पीछे हट रहे हैं। दोनों पक्षों के लगभग 10-12 अस्थायी ढांचों और लगभग 12 टेंट हैं, जिन्हें हटाया जाना है।

सैनिक गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे ले जा रहे हैं। इस प्रॉसेस के पूरा होने के बाद डेमचोक और देपसांग में दोनों सेनाएं पेट्रोलिंग कर सकेंगी। भारत और चीन के कोर कमांडर्स ने 21 अक्टूबर की सुबह 4:30 बजे नए पेट्रोलिंग समझौते पर दस्तखत दिए थे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस समझौते की जानकारी दी थी। समझौते से पहले देपसांग और डेमचोक में दोनों पक्षों के 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। समझौते का मकसद मई 2020 में हुई गलवान झड़प से पहले की स्थिति वापस लाना और देपसांग-डेमचोक में पेट्रोलिंग शुरू करना है। बता दें कि दोनों सेनाओं के बीच 2020 में गलवान में झड़प हुई थी। जिसमें भारतीय सेना के कर्नल रैंक के एक अधिकारी समेत 20 भारतीय जवान बलिदान हुए थे। ऐसा टकराव दोबारा ना हो इसलिए दोनों देशों ने नया पेट्रोलिंग समझौता किया है। यह समझौता डेमचोक और देपसांग के लिए है। यहां भारत-चीन के बीच 2020 से टकराव के हालात बने हुए थे।

ब्रिक्स सम्मेलन से पहले हुआ था समझौते का एलान
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी के रूस में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने और वहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात से पहले भारत और चीन के बीच एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों सेनाएं साल 2020 से पहले की स्थिति में लौटेंगी। चीन ने भी इस समझौते की पुष्टि की, बीजिंग ने कहा कि ‘प्रासंगिक मामलों’ का समाधान हो गया है और वह समझौते के प्रस्तावों को लागू करने के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा। समझौते के तहत गुरुवार को चीनी सेना ने क्षेत्र में अपने वाहनों की संख्या भी कम कर दी, और भारतीय सेना ने भी कुछ सैनिकों को वापस बुला लिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, अगले 4-5 दिनों के भीतर देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की गश्त फिर से शुरू होने की उम्मीद है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समझौते के तहत अब चीन के सैनिक देपसांग में स्थित बॉटलनेक इलाके में भारतीय सैनिकों को नहीं रोक सकेंगे। यह 18 किलोमीटर का इलाका है, जिस पर भारत का दावा है।

दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प रुकेगी
डेमचोक और देपसांग में गश्त और पशु चराने की व्यवस्था मई 2020 से पहले की तरह फिर से शुरू होंगी। समझौते के तहत गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी तट, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र जैसे टकराव के बिंदुओं पर पूर्व के समझौतों के तहत ही व्यवस्था रहेगी। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि समझौते के बाद एलएसी पर दोनों देशों के सेनाओं के बीच की झड़प रुक सकेगी।

समझौते की सबसे अहम 2 शर्तें
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय सैनिक इस क्षेत्र में चीनी पेट्रोलिंग टीम को भी नहीं रोकेंगे। पैंगॉन्ग त्सो के उत्तरी छोर पर फिंगर 8 तक गश्त बहाल होगी, यहां भारतीय सेना फिंगर 4 पॉइंट तक नहीं जा पा रही थी। यहां भारतीय सेना चीन को भी पेट्रोलिंग से नहीं रोकेगी।

आमने-सामने टकराव से बचने के लिए दोनों सेनाएं अलग-अलग दिन पेट्रोलिंग करेंगी। एक-दूसरे को अपनी पेट्रोलिंग की तारीख और समय के बारे में पहले से खबर करेंगी। मकसद यह है कि सैनिकों के बीच कोई झड़प और हिंसा न हो।

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