संयुक्त राष्ट्र की परिषद के विस्तार को राजी अमेरिका

वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर भारत के जोर देने के बीच अमेरिका ने कहा कि वह स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए आम सहमति बनाने का समर्थन करता है बशर्ते इसकी प्रभावकारिता या क्षमता कम न हो और इसमें वीटों में परिवर्तन या उसका विस्तार न हो।
अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत के पास होने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में बृहस्पतिवार को पत्रकारों से कहा कि अमेरिका सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता समेत संयुक्त राष्ट्र में भारत के साथ काम करने को लेकर अहमियत देता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों के लिए सुरक्षा परिषद के मामूली विस्तार के लिए सहमति बनाने का समर्थन करते हैं बशर्ते इसकी प्रभावकारिता या क्षमता कम न हो और इसमें वीटो में परिवर्तन या उसका विस्तार न हो।’’
वह उस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या बाइडन प्रशासन को लगता है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए। प्राइस ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सुरक्षा परिषद में ऐसा सुधार होना चाहिए, जिसमें सभी का प्रतिनिधित्व हो, प्रभावी हो और जो अमेरिका तथा संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के हित में प्रासंगिक हो। हम आगामी हफ्तों में सुरक्षा परिषद के संदर्भ में भारत के साथ निकटता से काम करने के अवसर को लेकर काफी उत्साहित हैं।’’
गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में लंबे समय से अटके सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रयासों में भारत अग्रणी रहा है। उसका कहना है कि उसे संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्य के तौर पर जगह मिलनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा का अगला सत्र सितंबर में होगा।
अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य देश हैं। ये पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं तथा ये देश किसी भी प्रस्ताव पर वीटो कर सकते हैं। सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है।
प्राइस ने कहा कि भारत और अमेरिका के कई साझा मूल्य और साझा हित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर हमारी भारत के साथ व्यापक रणनीतिक भागीदारी है जो हमें कई स्तरों पर एकजुट करती है। हम इस महीने संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद के संदर्भ में भारत सरकार के साथ बहुत निकटता से काम करने को लेकर तत्पर हैं।’’
‘‘बदनाम करने की व्यर्थ कोशिश’’
इधर, चीन तथा अमेरिका के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने हांगकांग से लोगों को अस्थायी शरण देने की अमेरिका की पेशकश को शुक्रवार को अर्द्ध-स्वायत्त शहर और चीन की केंद्रीय सरकार को ‘‘बदनाम करने की व्यर्थ कोशिश’’ बताया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हांगकांग को नियंत्रित करने और लोकतंत्र समर्थक विपक्ष को कुचलने से संबंधित चीन के बढ़ते कदम के जवाब में यह पेशकश की, जिसके कुछ ही देर बाद हांगकांग में चीन के विदेश मंत्रालय के कार्यालय की ओर से बयान जारी किया गया।
बाइडन ने हांगकांग के लोगों को वर्तमान में अमेरिका में रहने और 18 महीने के लिए देश में काम करने की अनुमति देने संबंधी एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। बाइडन का यह कदम हांगकांग के लिए नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और अन्य कदमों की प्रतिक्रिया में आया है, जो पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश को 1997 में चीन को सौंपने के वक्त दिए गए अधिकारों को कम करते हैं। यह ऐसे वक्त हुआ है जब चीन और अमेरिका के बीच विदेश नीति एवं व्यापार के मुद्दे पर टकराव हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि बाइडन के इस कदम ने ‘‘हांगकांग के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की निंदा की और उसे बदनाम किया, हांगकांग के मामलों और चीन के आंतरिक मामलों में अनधिकृत रूप से हस्तक्षेप किया और अंतरराष्ट्रीय कानून एवं अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानदंडों का साफ तौर उल्लंघन किया।