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संघ की बैठक: भैय्याजी जोशी को सरकार्रवाह की 5वीं बार मिलेगी जिम्मेदारी, या किसी और मिलेगा मौका

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक बेंगलुरु के चेन्नहल्ली स्थित जनसेवा विद्या केंद्र में आज से शुरू हो रही है। यहीं पर संघ की पिछले वर्ष बैठक तय थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था। इस बैठक में प्रतिनिधि सभा में पारित होने वाले प्रस्ताव पर चर्चा के साथ- साथ पिछले एक साल में सभी प्रांतों में हुए कार्यों पर चर्चा होगी। बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर बीजेपी अध्यक्ष सहित कई बड़े नेताओं के शामिल होने की संभावना है।

आरएसएस के इतिहास में पहली बार नागपुर से बाहर हो रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की चुनावी बैठक इसीलिए भी काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि 20 मार्च को संघ में नंबर दो के पद यानी सरकार्यवाह का चुनाव होना है। ऐसे में देखना है कि पांचवी बार भैय्याजी जोशी सरकार्यवाह का दायित्व संभालेंगे या फिर उनकी जगह किसी दूसरे को चुनाव जाएगा।

संघ के प्रतिनिधि सभा की बैठक में इस बार देश भर के 500 के करीब संघ के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं जबकि वैसे हर साल 1500 के लगभग लोग शामिल होते थे। कोरोना के कारण इस बार संख्या कम कर दी गई है। इस बार की बैठक में संघ के अनुषांगिक संगठनों के प्रमुखों को भी बेंगलुरु नहीं बुलाया गया है। बैठक में सभी अखिल भारतीय अधिकारी, 11 क्षेत्रों के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और उनके सहयोगी, सभी 43 प्रांतों के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और उनके सहयोगी और सभी प्रांतों से तीन या चार चुने गए प्रतिनिधि शामिल होंगे।

संघ सर संघचालक मोहन भागवत इस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। इस बैठक में मोहन भागवत के अलावा सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी के अलावा दत्तात्रेय होसबोले, मनमोहन वैद्य, डा। कृष्ण गोपाल जैसे सभी बड़े पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। छोटी प्रतिनिधि सभा होने की वजह से इस बार बीजेपी के प्रतिनिधि को बैठक में आमंत्रित नही किया गया है। तीन सालों में होने वाली ये बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण रहने वाली है।

इस बैठक में संघ के नए सरकार्यवाह का चुनाव होना है। पिछले 12 सालों से सरकार्यवाह (महासचिव) की जिम्मेदारी देख रहे भैय्याजी जोशी की जगह किसी दूसरे को चुना जा सकता है और उन्हें संघ में नई जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। यही वजह है कि संघ की यह बैठक काफी अहम और महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भैय्याजी जोशी 2009 में पहली बार सरकार्यवाह चुने गए थे, लेकिन खुद को उन्होंने 2018 के चुनाव में ही सरकार्यवाह के दायित्व से मुक्त करने का आग्रह किया था। संघ में प्रत्येक तीन साल पर चुनाव होता है।

तीन साल पर सरकार्यवाह का चुनाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में हर तीन साल पर सर कार्यवाह पद का चुनाव होता है। यह संगठन में कार्यकारी पद होता है, जबकि सरसंघचालक का पद मार्गदर्शक का होता है। वहीं, संघ के नियमित कार्यों के संचालन की जिम्मेदारी सरकार्यवाह की होती है। एक तरह से महासचिव का पद होता है, जिसे संघ सर कार्यवाह कहा जाता है। इसके साथ ही संघ के अन्य प्रमुख पदाधिकारियों की नियुक्ति भी होती है। सभी पदाधिकारियों का कार्यकाल तीन साल का होता है। हर तीन साल में होता है चुनाव होता है।

संघ में सबसे बड़ा कार्यकारी पद सरकार्यवाह का ही है। एक दशक से ज्यादा वक्त से भैया जी जोशी सरकार्यवाह हैं। माना जा रहा है कि इस बार संघ को कोई नया सरकार्यवाह मिल सकता है। हालांकि, तीन साल पहले भी इसी तरह की चर्चा थी लेकिन तब भी भैयाजी जोशी ही चुने गए थे। ऐसे में अगर भैय्याजी जोशी इस बार भी सरकार्यवाह बनते हैं तो पांचवी बार दायित्व संभालेंगे। वो तैयार नहीं होते हैं तो फिर किसी दूसरे को इस अहम पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

चुनाव को लेकर संघ के इतिहास में आज तक कभी भी वोटिंग की नौबत नहीं आई है। हर बार सरकार्यवाह का चुनाव निर्विरोध ही हुआ है। चुनाव की पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाता है। चुनाव अधिकारी नए सरकार्यवाह के लिए नाम आमंत्रित करते हैं। नॉमिनेशन के साथ ही प्रस्तावक भी जरूरी हैं। नए सरकार्यवाह का चुनाव होने के बाद वे अपनी पूरी टीम बनाते है।

संघ की बैठक का एजेंडा
आरएसएस प्रतिनिधि सभा की बैठक में राम मंदिर निर्माण को लेकर अब तक हुए कार्य की समीक्षा की जाएगी। राम मंदिर के चंदा से लेकर अब तक इस अभियान में कितने लोग जुड़े है इसकी विस्तृत चर्चा हो सकती है। बैठक में संघ के प्रतिनिधि पिछले एक साल की गतिविधियों का ब्योरा देंगे। कोरोना के दौरान संघ की क्या भूमिका रही, शाखाओं पर क्या असर पड़ा है, और आगे की इस बारे में क्या कार्ययोजना है। इस पर इस बैठक में प्रमुखता से चर्चा होनी है। इस बैठक में संघ इस बात पर बड़ी योजना बनाने जा रही है कि बदले जीवन पद्धति को निरंतर जीवन मे कैसे लाया जाए, इसके के लिए जनजागरण चलाए जाने की रूप रेखा तय हो सकती है।

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