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श्योपुर: भ्रष्टाचार के सहकारिता में अनसुनी हो रही जन की आवाज

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श्योपुर। विगत एक दशक में श्योपुर जिले में ऐतिहासिक सौगातें सरकार से मिली हैं, यह सौगातें कृषि आधारित है जिनमें जिले की चार बड़ी जल परियोजनाएं शामिल है हालांकि इन परियोजनाओं के मिलने से क्षेत्र में खेती किसानी का काम करने वाले किसानों की तकदीर बदलना तय है पर अभी तक इन परियोजनाओं से जो लाभ किसानों को या आमजन को मिलना था फिलहाल वो लाभ उन्हें मिलने के बजाय सर्विस प्रोवाइडर कंपनी (ठेकेदारों) को ही मिलता दिख रहा है। या फिर यूं कहें कि ठेकेदारों के साथ मिलकर सेवा के इस सहकारिता में सफेदपोश खुद के वारे न्यारे कर रहे हैं।

किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाली 35 गांव के लिए बिछाई गई चंबल सूक्ष्म सिंचाई परियोजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी दिख रही है। अफसर जहां इस परियोजना को कंप्लीट बता कर कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र जारी करने पर आमादा हैं, तो वहीं किसान इस योजना को न सिर्फ अधूरा बल्कि भ्रष्टाचार से लिप्त बता कर बीते दो साल से आंदोलन कर रहे हैं। 153 करोड़ 57 लाख रुपए लागत की इस परियोजना में स्प्रिंकल सिस्टम के जरिए लगभग आधा सैकड़ा गांवों की 12 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की सिंचाई हो सकने का दावा अफसरों के द्वारा किया गया है जबकि किसान इस परियोजना से एक एकड़ जमीन भी सिंचित नहीं होने की बात बोल कर अफसरों के दावे की पोल खोल रहे हैं। जिसके चलते बीते सप्ताह किसानों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा ओर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई है।

आंदोलन के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने मांगी जानकारी अभी तक नहीं मिली
बता दें कि चंबल सूक्ष्म सिंचाई परियोजना की लागत 153 करोड़ 57 लाख रुपए है। इस परियोजना में स्प्रिंकल सिस्टम के जरिए लगभग आधा सैकड़ा गांवों की 12 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की सिंचाई हो सकने का दावा जल संसाधन विभाग कर रहा है। इससे श्योपुर और बड़ौदा तहसील के 35 गांव की 12 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई करने का लक्ष्य तय किया गया था। ग्राम हिरनीखेड़ा के पास चंबल नहर से पानी लिफ्ट कर एक हजार से 1500 हॉर्स पॉवर तक के चार पंप लगाए गए हैं। एक पंप रिजर्व में लगाया गया है। 6 किमी लंबी राइजिंग मेन लाइन लूंड गांव तक पहुंचाई गई है। इस परियोजना के पूर्ण होने की घोषणा पर अचानक किसान आक्रोशित हो गए किसानों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर लंबे आंदोलन की चेतावनी दी थी।

कंपनी पानी पहुंचाने का कर रही झूठा दावा
किसानों का कहना था कि जो परियोजना के माध्यम से खेतों में पानी नहीं पहुंच रहा है। वह जगह जगह लीकेज है, कंपनी पानी पहुंचाने का झूंठा दावा कर रही है। इस संबंध में तब तत्कालीन कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने डब्ल्यूपीआईएल कंपनी के प्रस्तुतीकरण उपरांत किसानों एवं जनप्रतिनिधियों से सिंचित क्षेत्र एवं योजना संचालन के संबंध में जानकारी ली। इसके बाद निर्देश दिये गये कि पूर्व में लास्ट सीजन में 2200 हेक्टयर भूमि जिन किसानों की सिंचित की गई है, कंपनी द्वारा उनके नाम की सूची दी जायें। इसी प्रकार सुधारे गये 263 लीकेज की भी स्थानवार जानकारी प्रदान की जायें। उन्होने कंपनी को निर्देश दिये कि कंपनी में नियुक्त टेक्निकल स्टॉफ एवं मैन पावर की जानकारी भी दी जायें।

एक साल भी कंपनी ने नहीं दी जानकारी
कलेक्टर के इस निर्देश को एक साल बीतने पर भी कंपनी ने जानकारी नहीं दी अलबत्ता कलेक्टर जरूर बदल गए। किसानों का आक्रोश इस बात को लेकर भी है कि उन्होंने इस परियोजना की जद में आ रहे 6 अतिरिक्त गांव को जोड़ने की मांग कंपनी से की थी, लेकिन कंपनी ने यह कहकर इंकार कर दिया कि हमारी मशीनों की कैपेसिटी इससे अधिक एक गांव में पानी सप्लाई करने तक की नहीं है। अगर एक भी गांव अधिक परियोजना में जोड़ा गया तो मशीन खेतों तक पानी नहीं पहुंचा पाएगी। इसके बाद कंपनी ने बिना स्वीकृति के ही आवदा डैम नहर कमांड क्षेत्र में चंबल सूक्ष्म नहर परियोजना के तहत 1200 हेक्टयर जमीन में नहर मोड़ दी जिसके बाद भी पानी उन गांवों में नहीं पहुंच पा रहा है जिन गांवों के लिए यह योजना बनाई गई थी।

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