शिवराज सरकार का बड़ा फैसला: प्रदेश में 6 हजार से अधिक अवैध कॉलोनियां होंगी नियमति

भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव से पहले शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला किया है। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश में 6 हजार से ज्यादा अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के प्रस्तावित बिल को मंजूरी दे दी गई। नियमितीकरण का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लोगों के अवैध मकान प्रक्रिया के तहत वैध हो जाने से उन्हें बैंक लोन की पात्रता मिल जाएगी। कॉलोनी में नगरीय निकाय के जरिए सड़क, बिजली, पानी की सुविधा मिलने लगेगी। यह भी तय किया है कि जिन मकानों में नक्शे से अधिक निर्माण किया है, उसमें 20% अधिक निर्माण की कंपाउंडिंग यानी समझौता शुल्क लेकर सेटल किया जाएगा। इससे अधिक निर्माण को तोड़ा जाएगा।
सरकार अब विधयेक को अध्यादेश के माध्यम से लागू करेगी। इसके बाद नियम बनाए जाएंगे, जिसमें अवैध कॉलोनी की कट आॅफ डेट, नियमित योग्य कॉलोनी में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए कॉलोनाइजर और रहवासियों से कितनी राशि ली जाएगी।
कैबिनेट में हुए निर्णय के बारे में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया, बिना अनुमति निर्माण करने पर कॉलोनाइजर अथवा बिल्डर के खिलाफ 7 साल तक की सजा और 10 लाख रुपए का जुमार्ना होगा। ऐसे प्रावधान नियमों में किए जाएंगे।
बता दें, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान घोषणा की थी, अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए नगर पालिका विधि (संशोधन) विधेयक 2021 प्रदेश में लागू किया जाएगा, लेकिन कोरोना के चलते बजट सत्र 10 दिन पहले स्थगित होने के कारण सरकार इसे पेश नहीं कर पाई थी।
दरअसल, अवैध कॉलोनियों को वैध करने में कई अड़चने हैं, इसलिए नगरीय प्रशासन ने पेंडिंग नियमों को मोडिफाई कर नए एक्ट के ड्राफ्ट को मंत्रालय भेजा था। इससे पहले भी नियमों में परिवर्तन कर राज्य सरकार ने कुछ कॉलोनियों को वैध करार दिया था, लेकिन ग्वालियर हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी।
प्रदेश में करीब 6876 अवैध कॉलोनियां हैं। ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल और इंदौर में ऐसी कॉलोनियां सबसे ज्यादा हैं। शिवराज सरकार अगर निकाय चुनाव से पहले इन्हें नियमित कर देती है, तो यह बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। हालांकि शिवराज सिंह चौहान ने 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी घोषणा की थी, लेकिन सत्ता में वापस नहीं लौट पाए थे। कांग्रेस की सरकार में यह ठंडे बस्ते में चला गया था।
नक्शे स्वीकृत होंगे, बैंक से लोन मिल सकेगा
अवैध कॉलानियों को नियमित करने का संशोधित कानून लागू होने के बाद निर्मित मकानों के नक्शे स्वीकृत होंगे। साथ ही, लोग निर्माण के लिए बैंक से लोन भी ले सकेंगे। इन कॉलोनियों में कई प्लॉट अभी भी खाली पड़े हैं, क्योंकि नक्श स्वीकृत नहीं होने के कारण बैंक से लोन नहीं मिल पाया था।
दिग्विजय सरकार ने लिया था वैध करने का फैसला
प्रदेश में 3 फरवरी 2000 को सरकार ने शहरी क्षेत्र में नजूल की जमीनों को (अर्बन सीलिंग) शहरी क्षेत्र घोषित कर दिया था। इसके बाद इन पर अवैध रूप से कॉलोनियों और मकानों का निर्माण होता रहा, लेकिन उन्हें वैध करने के नियम नहीं थे। वर्ष 4 मई 2002 को इस बारे में तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने इन कॉलोनियों को वैध करने का निर्णय तो लिया, लेकिन इसका पालन नहीं हो पाया। इसी के क्रियान्वयन के लिए कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंजूरी दी।
ये प्रावधान भी होंगे
- पहले अवैध कॉलोनी निर्माण के दौरान रहवासी को भी अभियुक्त बनाया जाता था, लेकिन नए कानून में सिर्फ कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई होगी।
- बिना अनुमित निर्माण करने पर कालोनाइजर अथवा बिल्डर के खिलाफ 7 साल तक की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना होगा।
- यदि बिल्डर ने यह राशि नहीं चुकाई, तो बैंक गारंटी या फिर संपत्ति कुर्क की जाएगी।
- नगर निगम के अफसरों की जवाबदेही भी तय की गई है। यदि अवैध निर्माण होता है तो संबंधित अफसर व कर्मचारी के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।