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बड़ी खुशखबरी: नोवावैक्स को DCGI  ने दी आपात उपयोग की मंजूरी, 12-18 आयु के किशोरों को लगगी यह वैक्सीन

नई दिल्ली। दुनिया भर में एक बार फिर बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच भारत में नोवावैक्स वैक्सीन को 12 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल आॅफ इंडिया से आपात उपयोग की मंजूरी दे दी है। इसकी घोषणा स्वयं नोवोवैक्स ने की। बता दें कि इस वैक्सीन का उत्पादन पुणे सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया में हुआ है और बीते हफ्ते ही देश में 12-14 आयुवर्ग का टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है।

नोवोवैक्स द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, वैक्सीन को NVX-COV2373 के रूप में भी जाना जाता है। वहीं भारत में सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा इसे ‘कोवोवैक्स’ नाम के तहत निर्मित किया जा रहा है। यह पहला प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है जो भारत में इस आयु वर्ग में उपयोग के लिए अधिकृत किया गया है।

टीकाकरण प्रयासों को मजबूत करने महत्वपूर्ण कदम
सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने कहा, भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के किशोरों के लिए कोवोवैक्स की मंजूरी भारत और निम्न एवं मध्यम आय वाले देश (एलएमआईसी) में हमारे टीकाकरण प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा, हमें अपने देश के किशोरों के लिए एक अनुकूल सुरक्षा प्रोफाइल के साथ प्रोटीन-आधारित कोविड-19 वैक्सीन देने पर गर्व है।





वैक्सीन की मंजूरी मिलने पर गर्व
वहीं नोवावैक्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेनली सी एर्क ने कहा, हमें किशोरों के लिए इस वैक्सीन की पहली मंजूरी मिलने पर गर्व है। उन्होंने कहा कि हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि इस वैक्सीन की प्रभावकारिता और सुरक्षा भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए एक वैकल्पिक प्रोटीन-आधारित वैक्सीन का विकल्प प्रदान करेगी। खास बात है कि डीसीजीआई ने वयस्कों के लिए दिसंबर में कोवोवैक्स को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इसके अलावा कोवोवैक्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में भी जगह मिल चुकी है।

भारत में क्या हैं टीकाकरण के हाल
23 मार्च, बुधवार सुबह 7 बजे तक देश में कुल 181 करोड़ 89 लाख 15 हजार 234 डोज दिए जा चुके हैं। इनमें ‘एहतियाती खुराक’ की संख्या 2 करोड़ 20 लाख 10 हजार 777 है। आंकड़ों के अनुसार, टीकाकरण के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। राज्य में 29 करोड़ से ज्यादा डोज दिए जा चुके हैं।

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