नज़रिया

आश्रम 3 – ये  विवाद प्लान्टेड है !

ऐसा क्यों होने लगा है कि जब तक विवाद न हो तब तक मजा नहीं आता है। विवाद क्या मजे की जरूरत बन गया है ? या फिर विवाद क्या उत्सुकता को कुछ ज्यादा बढ़ा देता है जिससे मुनाफा बढ़ जाता है? और क्या विवादित होकर ही मनोरंजन के नाम पर मुनाफा कमाया जा सकता है ? ये कुछ सवाल है जो उस दर्शक के मन में जरूर आता होंगे, जब उन्हें किसी विवाद के बारे में पता चलता होगा।

ताजा विवाद निर्देशक प्रकाश झा (Prakash Jha) की मशहूर कम विवादित वेब सीरीज आश्रम 3 (Web series Ashram-3) से जुड़ा हुआ है। जिसकी शूटिंग में व्यवधान डालने के लिए सौ से ज्यादा बजरंगी पहुंच गए थे। इन बजरंगियों का कहना था इस वेब सीरिज का आश्रम व्यवस्था ठीक तरीके से नहीं दिखाया जा रहा है। तो उन्होंने प्रकाश झा के साथ विवाद किया बाउंसर को दौड़ा – दौड़ाकर पीटा और मशहूर फिल्म स्टार धर्मेंद्र (Film Star Dharmendra) के बेटे के जो कि घटना के वक्त ‘बाबा’ का किरदार निभा रहे थे उनकी वैनिटी वैन का कांच फोड़ दिया।

इस विवाद के बाद गृह मंत्री ने बयान दिया कि हम अब हम पॉलिसी बनाएंगे कि फिल्म सरकार देखें बाद में दर्शक.. इस विवाद के बीच सबसे बड़ी बात है कि आश्रम वेब सीरीज में व्यवस्था को लेकर विवाद हुआ था वो इस सीरीज का तीसरा पार्ट है.. और जिस तरह के दृश्य इस सीरीज में अब तक दिखाए जा चुके हैं उसके बाद अब कुछ बचा तो वैसे भी नहीं है। क्योंकि इस सीरीज में आश्रम व्यवस्था के बारे में जो नई परिभाषा गढ़ दी है उसे दर्शक देख भी चुके हैं और समझ भी चुके हैं तो फिर अब जो विवाद जो बजरंगियों की शक्ल में सामने आया क्यों वो आश्रम 3 और ज्यादा पॉपुलर बनाने की व्यवस्था का हिस्सा है ? एक दिन के भीतर भोपाल (Bhopal) से निकली यह खबर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर रही है। सोशल मीडिया (Social Media) पर ट्रेंड कर रही है और अब इस विवाद को देखने का इंतजार भी दर्शकों को रहने वाला है।

खैर मनोरंजन की दुनिया की यही तो खासियत है कि जो दिख रहा है वो केवल दिख रहा है उसका हकीकत से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि ऐसा होता तो शायद वो करणी सेना (Karani Sena) ने जिसने दीपिका पादुकोण (Deepika padukone) अभिनीत फिल्म पद्मावत (Padmavat) को लेकर राजस्थान के किले में जमकर हंगामा मचाया था। दीपिका पादुकोण के सिर कलम करने वाले को करोड़ों रुपये देने का एलान किया था आज उस करणी सेना की कहीं कोई बात ही नहीं हो रही है। फिल्म को लेकर विवाद मचाने वाली करणी सेना अगर महिला अधिकारों की इतनी ही हिमायती है तो राजस्थान में महिलाओं के प्रति अपराध जो बढ़ रहे हैं उन्हें लेकर भी कुछ काम कर लेती तो शायद अच्छा होता। लेकिन करणी सेना के विवाद का फायदा फिल्म पद्मावत को खूब मिला। पद्मावत हिट रही और जमकर माल कमाया।





आश्रम को लेकर जो बजरंगियों के द्वारा जो विवाद किया जा रहा है उसके पीछे के कारणों का अगर जानने की कोशिश की जाये तो ये समझना बहुत आसान हो जाता है कि कई बार जो विवाद उन्हें खड़ा किया जाता है ताकि उसका फायदा उठाया जा सकें। क्योंकि समाज हित में समाज सुधार का डंडा उठाकर काम करने का दावा करने वाली समाजसेवी संस्थाएं तब कहां चली जाती हैं जब महिलाओं के खिलाफ खुलेआम अपराध होते हैं। तब कोई ऐसी समाजसेवी संस्था सामने नहीं आती है।

ऐसा नहीं आश्रम 3, पद्मावत को लेकर ही विवाद हुए हो। इन से पहले फिल्म, वेब सीरीज और सीरियल्स को लेकर विवाद हुए हैं और होते भी रहेंगे। लेकिन इन सबके बीच ये मन में एक बात जरूर आती है कि क्यों अब निर्देशकों को आप पर इतना भरोसा नहीं है कि उनकी बनाई हुई फिल्म दर्शकों को पसंद आएगी क्योंकि उन्हें अपनी ही फिल्म को विवादित बनाने के लिए विवाद पैदा करने वाले मार्केटिंग टूल्स (Marketing Tools) का सहारा लेना पड़ता है। इतिहास में देखा जाए तो मुगले आजम, प्रेम रोग जैसी भी फिल्में थी जिन्हें दर्शकों ने सराहा है। हालांकि एक वर्ग जरूर इनसे जुड़े विवाद की बात करता है लेकिन अभिनय, संगीत और निर्देशन की तारीफ जरूर करता है। लेकिन वर्तमान में विवादित बनाकर मुनाफा कमाने जो ये जो तरीका चल रहा है वो बता रहा है कि अब न पहले जैसे फिल्म बनाने रहे न पहले जैसे फिल्म देखने वाले…

वैभव गुप्ता

वैभव गुप्ता मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में जाना-पहचाना नाम हैं। मूलतः ग्वालियर निवासी गुप्ता ने भोपाल को अपनी कर्मस्थली बनाया और एक दशक से अधिक समय से यहां अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों में उल्लेखनीय सेवाएं दी हैं। वैभव गुप्ता राजनीतिक तथा सामाजिक मुद्दों पर भी नियमित रूप से लेखन कर रहे हैं।

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