मध्यप्रदेशरीवा

किसानों के लिए बागवानी उत्पादन बनता जा रहा अभिशाप, कोल्ड रूम बनाने का सपना आज भी अधूरा

रीवा। सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को देने के लाख दावे सरकार करती हो लेकिन यह सब हवा हवाई साबित होते हैं। समय पर बजट नहीं मिलने के कारण किसानों का सपना अधूरा रह जाता है। किसानों के लिए बागवानी उत्पादन अब अभिशाप बनता जा रहा है जिसकी वजह कोल्ड रूम नहीं बनने को माना जा रहा है। शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं में विभागीय रुचि नहीं होने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। संभाग में किसानों द्वारा की जा रही बागवानी उत्पादन अभिशाप बनता जा रहा है।

दरअसल संभाग में फूड प्रोसेसिंग यूनिट की कमी इसकी बड़ी वजह बनकर सामने आ रही है। फलों और सब्जियों के साथ-साथ मसालों के लिए फूड प्रोसेसिंग के माध्यम से तरक्की के नए रास्ते खुल सकते हैं लेकिन उद्यानिकी विभाग द्वारा इस दिशा में कारगर पहल न करने से किसान अपनी उपज का अधिकतम मूल्य नहीं ले पा रहे हैं। इसके साथ ही उपज के प्रोसेस न होने से जल्द खराब होने का खतरा भी हमेशा बना रहता है। ऐसे में योजना का लाभ मिलते न देख मजबूरन संभाग के कुछ किसानों द्वारा अपने स्तर से पैसों की व्यवस्था कर फूड प्रोसेसिंग को अपनाया जा रह है। कोल्ड स्टोरेज की जगह विभाग ने कम लागत वाले कोल्ड रूम का सपना भी किसानों को दिखाया है जिसे अभी तक विभाग अमली जामा नहीं पहना पाया है।

कागज में सिमटी योजना
करोड़ों रुपए में लगने वाले कोल्ड स्टोरेज को देखते हुए विभाग द्वारा कोल्ड रूम की योजना लागू की गई है। जिसमें 20 लाख रुपए की लागत में कोल्ड रूम खेतों में लगाया जा सकता है। इसमें करीब 50 प्रतिशत अनुदान दिए जाने की जानकारी भी किसानों से साझा की गई थी। पॉली हाउस संचालकों के लिए लाभदायक यह योजना शुरुआती जानकारी आने के बाद कागजों में सिमटकर रह गई है। ऐसे में बागवानी की उपज को कम लागत में लम्बे समय तक खराब होने से बचाने का सपना देखने वाले किसान भी अब मायूस हैं। मिली जानकारी के मुताबिक इस योजना को शुरुआत में जोर-शोर से प्रचारित किया गया था। इसके साथ ही किसानों को कोल्ड रूम की तीन डिजाइन भी दिखाई गई थी लेकिन अब यह योजना भी ठण्डे बस्ते में चली गई है।

संभाग में लगातार बढ़ रहा बागवानी का रकबा
संभाग में बागवानी का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। पारंपरिक खेती में मौसम की बेरुखी से लगातार होने वाले नुकसान को देखते हुए किसान अब नए जमाने की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। यह खेती में कम समय में ज्यादा मुनाफा किसानों के आर्थिक जरूरतें पूरी करने में सफल हो रही है। बागवानी में बम्पर उत्पादन अब किसानों के लिए परेशानी बनता जा रहा है। संभाग में फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापना को लेकर विभाग की निष्क्रियता के कारण किसान अपनी फसल कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं। फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही है। लेकिन इसके न होने से किसान फसल खराब होने के डर से कम दामों में ही अपनी उपज बेच देते हैं। जबकि इस यूनिट की स्थापना के बाद उपज से अन्य उत्पाद बनाकर लम्बे समय तक रखकर काफी अच्छे दामों में बेचा जा सकता है।

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