साइबर क्राइम से आतंकियों की तरह निपटेगा अमेरिका

विदेश: वाशिंगटन। अमेरिका (America) में अब साइबर अपराधों (cyber crimes) को गंभीर आंतकी (terrorist) वारदात मानते हुए उससे मुकाबले की तैयारी की जा रही है। एफबीआइ के निदेशक क्रिस्टोफर रे (Christopher Ray) ने वाल स्ट्रीट जनरल को बताया कि अब तक एफबीआइ की जांच में सौ तरह के रैंसमवेयर सामने आए हैं। जिनसे अमेरिका के हर क्षेत्र को तहस-नहस किए जाने की साजिश रची गईं। अमेरिका में साइबर अपराधियों ने रैंसमवेयर के जरिये महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाकर हालात गंभीर बना दिए हैं। क्रिस्टोफर रे ने कहा है कि देश में साइबर अपराधों के कारण 9/11 हमले जैसी चुनौती सामने आ रही हैं।
इनमें से कई का संबंध सीधे रूस से था। पिछले हफ्ते राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने व्हाइट हाउस (White House) में पत्रकार वार्ता में कहा कि उनका प्रशासन रैंसमवेयर हमले (ransomware attack) के लिए रूस पर जवाबी कार्रवाई करने के बारे में बारीकी से अध्ययन कर रहा है।
ज्ञात हो कि अमेरिका में साइबर हमलों की सरकारी संस्थान ही नहीं प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां भी शिकार हो रही हैं। रैंसमवेयर के हमले कुछ तो सरकार की जासूसी और सिस्टम को पंगु बनाने के लिए किये जा रहे हैं। प्राइवेट सेक्टर में ये साइबर हमले रूस और चीन में बैठे संगठित गिरोह अंजाम दे रहे हैं। इन हमलों के बाद उनके द्वारा फिरौती मांगी जा रही है।
राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले दिनों एक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें साइबर हमलों को गंभीर आतंकी वारदात मानते हुए कड़े प्रावधान किए जा रहे हैं। इस आदेश के बाद सुरक्षा एजेंसियों को साइबर अपराधियों की पहचान करने से लेकर उन्हें रोकने तक की व्यवस्था को और अधिक मजबूत किया जा रहा है। साथ ही जवाबी हमले की भी कार्रवाई की जाएगी। अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को अलकायदा (al Qaeda) ने चार विमानों का अपहरण कर न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Center) से टकरा दिया था। इस हमले में तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।