विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का मानसून सत्र, समय से दो दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

नई दिल्ली। पेगासस जासूसी विवाद (Pegasus spy controversy), कृषि कानूनों (agricultural laws) और अन्य मुद्दों को लेकर सदन में विपक्षी पार्टियों (opposition parties) के हंगामे और भारी शोर-शराबे के बीच आज बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के खत्म हो गई है। यानि तय समय से दो पहले ही इस सत्र की कार्यवाही को स्थगित कर दिया है। बता दें कि संसद का मानसून सत्र (monsoon session) 19 जुलाई से 13 अगस्त तक चलना था, लेकन इसे आज खत्म कर दिया गया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने आज सुबह कार्यवाही शुरू होने पर बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई और इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में कामकाज अपेक्षा के मुताबिक नहीं रहा। बिरला ने बताया कि रुकावटों की वजह से 96 घंटे में करीब 74 घंटे कामकाज नहीं हो सका। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘लगातार रुकावटों के कारण महज 22 प्रतिशत कामकाज ही हो पाया।’
ज्ञात हो कि संसद का मानसून सत्र के दौरान पेगासस जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष का हंगामा लगातार जारी रहा। लेकिन इसके बावजूद केन्द्र सरकार (central government) अपने मंसूबे में सफल रही। सरकार इस दौरान संविधान संशोधन विधेयक (constitution amendment bill) समेत कई विधेयकों को सदन में पारित करा लिया। इनमें राज्यों को अपनी ओबीसी सूची (OBC List) बनाने की अनुमति देने वाला विधेयक भी शामिल है। अनिश्चितकाल के लिए स्थगन से पहले, सदन ने चार पूर्व सदस्यों को भी श्रद्धांजलि दी, जिनका हाल ही में निधन हो गया था। इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे।
अपेक्षाओं के अनुरुप सदन का कामकाज नहीं हुआ : बिरला
सदन स्थगित करने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि 17वीं लोकसभा का छठवां सत्र आज सम्पन्न हुआ। इस सत्र में अपेक्षाओं के अनुरुप सदन का कामकाज नहीं हुआ। इसे लेकर मेरे मन में दुख है। मेरी कोशिश रहती है कि सदन में अधिकतम कामकाज हो, विधायी कार्य हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो। हालांकि, इस बार लगातार गतिरोध रहा। ये गतिरोध समाप्त नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्ष संसद के कामकाज की दृष्टि से अधिक उत्पादकता वाले रहे। इस बार कुल उत्पादकता 22% रही। 20 विधेयक पारित हुए। सभी संसद सदस्यों से अपेक्षा रहती है कि हम सदन की कुछ मयार्दाओं को बनाए रखें। हमारी संसदीय मर्यादाएं बहुत उच्च कोटि की रही हैं। मेरा सभी सांसदों से आग्रह है कि संसदीय परंपराओं के अनुसार सदन चले। तख्तियां और नारे हमारी संसदीय परंपराओं के अनुरुप नहीं हैं।