भोपाल। मुख्यमंत्री मोहन यादव मंगलवार को पुणे के दौरे पर रहे। जहां उन्होंने जानकी देवी बजाज इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट स्टडीज आॅडिटोरियम में रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी संस्थान द्वारा आयोजित पुण्यश्लोक अहिल्या बाई होलकर और उनके जन कल्याणकारी सुशासन कार्यक्रम को संबोधित किया। इसके अलावा सीएम ने अम्बेगांव (पुणे) में एशिया के एकमात्र ऐतिहासिक थीम पार्क शिव-सृष्टि का अवलोकन किया।
सीएम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर ने सच्चे अर्थों में सनातन संस्कृति की ध्वजा को लहराने का कार्य किया। अठाहरवीं शताब्दी में लगभग 28 वर्ष के उनके शासन में प्रशासनिक कुशलता, जन-कल्याण, सुशासन के अनेक दृष्टांत प्रस्तुत किए। लोकमाता अहिल्या बाई की 300वीं जयंती पर मध्यप्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। आज गौरवशाली इतिहास वाले पुणे में रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी संस्था के राष्ट्रीय चर्चा कार्यक्रम में आकर पुणे नगरी को प्रणाम करते हुए यहां शिवाजी महाराज, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक की स्मृति को नमन है, जिनके कारण पुणे महानगर का स्पंदन पूरा राष्ट्र महसूस करता है। पुणे महानगर प्रकारांतर से इंदौर और उज्जैन की तरह प्रतीत होता है।
बाजीराव और सिंधिया के कारण कायम रहा महाकाल मंदिर
सीएम ने कहा कि पुणे में शिवाजी महाराज की सरिता की धारा के अलग-अलग तट के हिस्से दिखाई देते हैं। इसके साथ ही सिंधिया, होलकर वंश के शासकों सहित लोक माता के कार्यों का स्मरण सहज ही हो जाता है। पेशवा बाजीराव और सिंधिया का सहयोग वर्तमान के महाकाल मंदिर उज्जैन के कायम रहने का आधार बना। हमारे शासकों ने उस दौर में महाकाल मंदिर का निर्माण किया, जब बाहरी आक्रामक विभिन्न नगरों को ध्वस्त करने के लिए तैयार बैठे थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस और लोकमाता अहिल्या देवी के लोक कल्याणकारी कार्यों का स्मरण आज पूरा राष्ट्र कर रहा है।
मां का प्रतिरूप थी लोकमाता
सीएम ने कहा कि उन्होंने अनेक इलाकों में सकारात्मक परिवर्तन के लिए कुंओं के निर्माण, उद्यानों के निर्माण, प्याऊ प्रारंभ करने, सड़कों के निर्माण और सुधार कार्य, अन्न क्षेत्र प्रारंभ करने, मंदिरों में विद्वानों की निुयक्ति और खेती-बाड़ी के कार्यों से लोगों को जोड़कर सम्पूर्ण समाज को बदलने का कार्य किया। वे एक मां का प्रतिरूप थीं। अनेक दुखों को सहते हुए उन्होंने शासन के ऐसे सूत्र संचालित किए, जो सर्व कल्याण के भाव का उदाहरण है। उनके राज्य में दो तरह की धन राशि का प्रावधान था। व्यक्तिगत उपयोग के साथ ही राशि का परिवार के लिए उपयोग करने का संदेश धनगर और यादव समाज ने दिया है, जिसमें परिवार की महिला को आय का एक चौथाई हिस्सा प्रदान किया जाता है। होलकर वंश में खासगी परम्परा कहा गया। उस दौर में 18 करोड़ की राशि जिसका वर्तमान मूल्य दो हजार करोड़ से ही अधिक होगा, उसके माध्यम से अनेक प्रकल्पों का संचालन किया गया। राज्य की सुरक्षा के लिए लोकमाता ने कूटनीति और युद्ध कौशल के अनेक दृष्टांत प्रस्तुत किए। नारी होकर भी वे पुरूषार्थ का प्रतीक थीं।
इंदौर ने व्यापार, संस्कृति और कला के क्षेत्र में विकास किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर ने वर्ष 1767 में अपनी राजधानी महेश्वर से इंदौर करने का निर्णय लिया था। महेश्वरी साड़ी के लिए महेश्वर विश्व में प्रसिद्ध है। उन्होंने बताया कि इंदौर को राजधानी बनाने के बाद यह शहर एक महत्वपूर्ण केन्द्र बना। इंदौर ने व्यापार, संस्कृति और कला के क्षेत्र में विकास किया। इंदौर में अनेक स्मारकों का निर्माण करवाया गया है, जिनमें से अनेक आज भी मौजूद हैं। महेश्वर के साथ ही ओंकोरश्वर में भी नर्मदा जी के किनारे भी सुविधाजनक घाट निर्मित करवाया, जो महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना। तीर्थयात्रियों के लिए अनेक सुविधाएं विकसित की गईं। भगवान शिव, लोकमाता अहिल्या बाई के प्रमुख आराध्य थे। देश के अनेक स्थानों पर उन्होंने शिव मंदिरों का निर्माण करवाया।